Move to Jagran APP

अल्मोड़ा की स्टेशन रोड पर होता था जनसंघ की तिकड़ी से कांग्रेसियों का आमना-सामना

Uttarakhand Chunav 2022 सोबन सिंह जीना गोविंद सिंह बिष्ट और रामदत्त जोशी की तिकड़ी जनसंघ में काफी प्रसिद्ध थी। अल्मोड़ा व आसपास के क्षेत्रों में इनका दबदबा रहता था। सेना मेें भर्ती होने से पहले इंटर कालेज में पढ़ाई के दौरान जनसंघ की तरफ झुकाव बढ़ा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 09:07 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 09:07 AM (IST)
अल्मोड़ा की स्टेशन रोड पर होता था जनसंघ की तिकड़ी से कांग्रेसियों का आमना-सामना
अल्मोड़ा की स्टेशन रोड पर होता था जनसंघ की तिकड़ी से कांग्रेसियों का आमना-सामना

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : सोबन सिंह जीना, गोविंद सिंह बिष्ट और रामदत्त जोशी की तिकड़ी जनसंघ में काफी प्रसिद्ध थी। अल्मोड़ा व आसपास के क्षेत्रों में इनका दबदबा रहता था। सेना मेें भर्ती होने से पहले इंटर कालेज में पढ़ाई के दौरान जनसंघ की तरफ झुकाव बढ़ा। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्व. पूरन चंद्र जोशी के कहने पर हम लोग भी अल्मोड़ा में होने वाली रैलियों व अन्य कार्यक्रमों में शामिल हो जाते थे।

loksabha election banner

क्षेत्र में कांग्रेसियों की संख्या ज्यादा होती थी, मगर तिकड़ी का भी अपना रुतबा होता था। झंडा लेकर चलने वाले और दरी बिछाने वाले कार्यकर्ताओं को कभी बेसन का लड्डू और मिश्री मिल जाती थी तो उसे भी पार्टी का सम्मान समझ रख लेते थे। बड़े नेताओं के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के मन में भी कोई लालच नहीं होता था।

वरिष्ठ नागरिक जनकल्याण समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह ठठोला बताते हैं कि 1965 से पहले पढ़ाई की वजह से वह अल्मोड़ा में अपने जीजा के वहां रहते थे। उम्र ज्यादा नहीं थी, मगर जनसंघ की तरफ झुकाव जरूर था। तब जनसंघ के लोग जाखनदेवी की तरफ से स्टेशन रोड पर पहुंचते थे, जबकि कांग्रेसी नंदा देवी मंदिर वाले रास्ते से यहां आते थे। अक्सर अल्मोड़ा में दोनों दलों की रैली आमने-सामने आ जाती थी।

नारेबाजी के दौर के बीच जनसंघ के चुनाव चिह्न दीपक और कांग्रेस के तब के चुनाव चिह्न दो बैलों की जोड़ी को लेकर आपस में कटाक्ष भी करते थे। मगर कभी विवाद या लड़ाई-झगड़े की नौबत नहीं आई। दोनों दलों के बड़े नेता बीच रैली में एक-दूसरे का हाल-चाल भी पूछ लेते थे और हम लोग पीछे-पीछे झंडा लेकर चलते रहते थे। कांग्रेसी सिर पर सफेद और जनसंघी भगवा टोपी पहनकर चलते थे। उन नेताओं के साथ-साथ तब की राजनीति में चरित्र का बड़ा महत्व होता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.