न्यायाधीशों ने विवेचना व वादों के निपटारे में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करने का दिया सुझाव
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल की ओर से उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी भवाली में आयोजित हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की कांफ्रेंस का समापन हो गया।
नैनीताल, जेएनएन : राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल की ओर से उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी भवाली में आयोजित हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की कांफ्रेंस का समापन हो गया। कांफ्रेंस में वादों की विवेचना और उनके निस्तारण में आधुनिक तकनीकी के उपयोग पर जोर दिया गया। जमानती प्रार्थना पत्रों के निस्तारण में तेजी के साथ सावधानी बरतने की जरूरत बताई गई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी चर्चा हुई।
उत्तराखंड हाई कोर्ट के सहयोग से उजाला भवाली में आयोजित कांफ्रेंस के दूसरे दिन दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने बढ़ते साइबर क्राइम, फॉरेंसिक जांच आदि की चर्चा करते हुए विदेशों में न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। नैनीताल हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस यूसी ध्यानी ने लंबित वादों के निस्तारण में क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस पर चर्चा की। अदालती मामलों में वैज्ञानिक साक्ष्यों की उपयोगिता पर भी विचार विमर्श किया गया। साफ किया कि न्यायिक तंत्र के लिए वादकारियों का हित सर्वोच्च है। यदि वादों का समयबद्ध निपटारा होगा तो इससे न्याय प्रणाली के प्रति भरोसा बढ़ेगा। केस प्रबंधन पर भी चर्चा की। इस दौरान छह राज्यों के न्यायाधीशों ने उजाला की ओर से कांफ्रेंस के लिए की गई व्यवस्थाओं की सराहना की। उजाला के निदेशक व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रशांत जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। जिला व पुलिस प्रशासन की भी व्यवस्था में सहयोग के लिए सराहना की गई। इस अवसर पर हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार तिवारी, जस्टिस एनएस धानिक, जस्टिस रमेश खुल्बे, जस्टिस रवींद्र मैठाणी, उजाला के अतिरिक्त निदेशक आशुतोष मिश्रा, धर्मेंद्र अधिकारी, छवि बंसल, प्रशासनिक अधिकारी गोविंद कापड़ी आदि मौजूद थे।