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सफाई कर्मचारियों का शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत के घर बोला धावा, तोड़ी बैरीकेड

भगत के आवास का घेराव करने जा रहे सफाई कर्मचारियों और पुलिस के बीच बुधवार को ऊंचापुल के पास जमकर विवाद हुआ। धक्का-मुक्की के बीच प्रदर्शनकारी पहला बैरीकेड तोड़ आगे निकल गए। जिसके बाद किसी तरह पुलिस ने फिर रोका।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 09:21 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 09:21 PM (IST)
सफाई कर्मचारियों का शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत के घर बोला धावा, तोड़ी बैरीकेड
गुस्साए कर्मचारियों ने 19 जुलाई से प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान कर दिया है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत के आवास का घेराव करने जा रहे सफाई कर्मचारियों और पुलिस के बीच बुधवार को ऊंचापुल के पास जमकर विवाद हुआ। धक्का-मुक्की के बीच प्रदर्शनकारी पहला बैरीकेड तोड़ आगे निकल गए। जिसके बाद किसी तरह पुलिस ने फिर रोका। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अफसरों ने मंत्री के आवास पर नहीं होने का हवाला देकर बमुश्किल उन्हें मनाया। जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने ज्ञापन रिसीव किया। हालांकि गुस्साए कर्मचारियों ने 19 जुलाई से प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान कर दिया है।

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देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ से जुड़े लोग पिछले दो दिन से नगर निगम में भर्ती प्रक्रिया को लेकर धरने पर बैठे थे। उनका आरोप था कि हल्द्वानी निगम में बाहरी और चहेतों की भर्ती की जा रही है। वहीं, बुधवार को प्रदेश स्तर की 11 मांगों को लेकर शहरी विकास मंत्री के आवास का घेराव होना था। दोपहर में बड़ी संख्या में लोग हाथों में झाड़ू पकड़ ऊंचापुल स्थित मंत्री बंशीधर भगत के आवास को कूच करने लगे। हंगामे की आशंका पर पुलिस भी सक्रिय हो गई। भगत के घर से पहले दो जगहों पर बैरीकेड लगाकर फोर्स तैनात कर दी गई। सीओ शांतनु पराशर व एसओ सुशील कुमार भी पहुंच गए। इस बीच प्रदर्शनकारी आगे बढऩे लगे तो पुलिस से बहस शुरू हो गई। करीब डेढ़ घंटे तक नारेबाजी व नोकझोंक का सिलसिला चलता रहा।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष राहत मसीह ने कहा कि शासन स्तर पर दो बार वार्ता होने के बावजूद समाधान नहीं निकाला गया। दो माह का आश्वासन मिलने पर संक्रमण के दौर में लोग शांत रहे थे, लेकिन शहरी विकास मंत्री से उन्हें निराशा ही मिली। वहीं, सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह व एसडीएम मनीष सिंह प्रदर्शनकारियों को समझाने में जुटे। जिसके बाद ज्ञापन भी लिया गया। हालांकि आक्रोशित सफाई कर्मचारियों ने 19 जुलाई से हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया। एसओ सुशील कुमार ने बताया कि आवास के पास पुलिस तैनात की गई है।

ये लोग शामिल थे

संघ संस्थापक बांके लाल बिहारी, प्रदेश उपाध्यक्ष अजय सौदा, अमरदीप चौधरी, ओम प्रकाश चौटाला, महासचिव राजपाल पंवार, सचिव दिनेश कटियार, जितेंद्र देवांतक, कोषाध्यक्ष कल्लू चरन, संगठन मंत्री मनोज, जय प्रकाश, लक्ष्मण चौहान, विजय पाल, शिवम कुमार, मोहित कुमार, रामू भारती, दीपक चंदेल आदि शामिल थे। ऊधमसिंह नगर से भी लोग पहुंचे थे।

इन मांगों को लेकर आंदोलन

-सभी निकायों, सरकारी अस्पताल व शिक्षण संस्थानों में ठेका प्रथा बंद कर स्थायी भर्ती होनी चाहिए।

-सालों से काम कर रहे संविदा, उपनल, दैनिक श्रमिकों को वरिष्ठता के हिसाब से स्थायी किया जाए।

-दस हजार लोगों पर 28 स्थायी कर्मी का आंकड़ा होना चाहिए। चालकों के पद भी परमानेंट होने चाहिए।

-नियमावली में संशोधन कर कनिष्ठ सहायक, पर्यावरण पर्यवेक्षक, सफाई निरीक्षक व चालक पद पर पदोन्नत किया जाए।

-मृतक आश्रित नियमावली में संशोधन कर परिवार में सरकारी सेवक होने पर भी किसी एक को नियुक्ति मिले।

-वर्तमान पेंशन योजना व एनपीएस की जगह पर 2005 की व्यवस्था लागू करने की मांग।

-सफाई कर्मचारियों का जीवन व सुरक्षा बीमा होना चाहिए।

-राज्य कर्मचारियों की भांति धुलाई व टूल भत्ता मिलना चाहिए।

-सफाई कर्मचारियों को आवासों पर मालिकाना हक की मांग।

-भूमिहीन बाल्मीकि समाज के लोगों का स्थायी व जाति प्र्रमाणपत्र प्राथमिकता से बने।

-पर्यावरण मित्र पदनाम को संशोधित कर सफाई सैनिक नाम दिया जाए।

संगठन मंत्री देवभूमि कर्मचारी संघ अमित कुमार ने बताया कि लंबे समय से 11 मांगें पूरी होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सफाई कर्मियों के हित में सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। इसलिए घेराव करने पहुंचे थे।

मंत्री पर धमकाने का आरोप

संघ ने मीडिया में जारी बयान में शहरी विकास मंत्री पर धमकाने आरोप लगाया है। प्रदेश अध्यक्ष राहत मसीह ने कहा कि सुबह करीब सवा 11 बजे फोन पर वार्ता होने पर कैबिनेट मंत्री भगत ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए आवास न घेरने की धमकी दी थी।

पीसीसी मेंबर ललित जोशी का कहना है कि भाजपा हमेशा कर्मचारी विरोधी रही है। चुनावी साल में बड़े-बड़े दावे करने के बजाय 2017 की घोषणाओं को पूरा किया जाना चाहिए था, लेकिन भाजपा के मंत्री अहंकार में डूबे हुए हैं।


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