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नैनीताल में भीषण आग के कारण दस गुना तक बढ़ा वायु प्रदूषण, स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक

सरोवर नगरी के समीपवर्ती जंगलों में दावानल से शहर की स्वच्छ फिजा में जहर घुल गया है। विशेषज्ञ इसे स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से खतरनाक मान रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 10:32 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 10:32 AM (IST)
नैनीताल में भीषण आग के कारण दस गुना तक बढ़ा वायु प्रदूषण, स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक
नैनीताल में भीषण आग के कारण दस गुना तक बढ़ा वायु प्रदूषण, स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक

नैनीताल, जेएनएन : सरोवर नगरी के समीपवर्ती जंगलों में दावानल से शहर की स्वच्छ फिजा में जहर घुल गया है। विशेषज्ञ प्रदूषित वायु एरोसोल कार्बनिक कणों में बेतहाशा वृद्धि होने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पडऩा मान रहे हैं। पीएम (पार्टिकूलेट मैटर) 2.5 की मात्रा 300 जा पहुंची है, जबकि पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) 300 जा पहुंची है। 
आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. उमेश दुम्का का कहना है कि भले ही सरोवर नगरी आग की चपेट से दूर हो, लेकिन समीपवर्ती जंगलों में लगी आग के प्रकोप से शुद्ध वातावरण प्रदूषित हो गया है। पिछले कई दिनों से लगी आग से यहां की जमी भी तप रही है। वायु प्रदूषण में दस गुना बढ़ोत्तरी हो चली है। पार्ट पर बिलियन यानी पीपीबी की मात्रा सामान्यत: 30 होनी चाहिए, जो बढ़कर 300 हो गई है। पार्टिकूलेट मैटर पीएम 2.5 सामान्य 100 से तीन गुना बढ़कर 300 जा पहुंची है। जंगलों में आग लगने का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो प्रदूषण में इजाफा होगा। जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होगा। यहां पिछले कुछ दिनों तक वायु प्रदूषण नाम मात्र भी नहीं था। जैसे-जैसे जंगलों में आग लगनी शुरू हुई तो प्रदूषण बढऩे लगा है। गुरुवार को दिनभर समीपवर्ती जंगलों में दावानल धधकने की वजह से शाम के समय नगर की स्वच्छ फिजा में धुंध नजर आने लगी।
न्यूनतम पारे का स्तर सामान्य से अधिक जा पहुंच गया। जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी प्रताप सिंह बिष्ट के अनुसार पिछले तीन दिन से तापमान ने तेजी से उछाल आया है। न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 29 पहुंच गया है। आग के प्रकोप से आद्रता भी अछूती नही रह गई है, जिसमें भारी कमी आ गई है। 50 प्रतिशत से अधिक रहने वाली आद्रता की मात्रा 38 पहुंच गई और न्यूनतम स्तर 28 प्रतिशत दर्ज किया गया है। आद्रता की मात्रा में कमी आने से आने वाले दिनों में प्री मानसून की बारिश पर असर पडऩे की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। 

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