दर्द झेलकर भी मजदूर, छात्र और आशा कार्यकर्ताओं के लिए संघर्ष करते रहे कैलाश पांडे nainital news
मजदूर छात्र और आशा कार्यकर्ताओं को उनका हक दिलाने के लिए हल्द्वानी के ऊंचापुल निवासी डॉ. कैलाश पांडे लगातार संघर्षरत हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : मजदूर, छात्र और आशा कार्यकर्ताओं को उनका हक दिलाने के लिए हल्द्वानी के ऊंचापुल निवासी डॉ. कैलाश पांडे लगातार संघर्षरत हैं। उनके अधिकारों के लिए लाठी भी खाई, लेकिन हौंसले को हारने नहीं दिया। मजदूरों के उत्पीडऩ या फिर आंदोलन से जुड़ा कोई भी मामला हो, वह अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर मोर्चा संभालते नजर आते हैं। आंदोलनों में शामिल होने की वजह से मुकदमे भी झेले, लेकिन संघर्ष जारी रखा।
आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन का किया गठन
भाकपा माले के जिला सचिव कैलाश पांडे ने गढ़वाल विवि में पढाई के दौरान ही आंदोलनों में सक्रियता बढ़ानी शुरू कर दी थी। प्रदेश भर में आशा कार्यकर्ताओं को संगठित कर उन्होंने उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन का गठन कर उनके हक के लिए सरकार को घेरना शुरू किया। आंदोलन का नतीजा रहा कि 2011 में सरकार ने पहली बार इन्हें वार्षिक प्रोत्साहन देना शुरू किया। पिछली कांग्रेस सरकार में फिर से आंदोलन शुरू कर मासिक प्रोत्साहन राशि भी दिलवाई। इस बीच सालाना प्रोत्साहन राशि मिलनी बंद हो गई। पांडे के मुताबिक संगठन के जरिये अब वह आंध्र प्रदेश की तर्ज पर आशा कार्यकर्ताओं को उनका हक दिलाने की रणनीति बना रहे हैं।
लठ्ठा मजदूरों को न्याय दिलवाया
इमारती लकड़ी की ग्रेडिंग व गाडिय़ों में लठ्ठे भरने वाले मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने को लेकर दो साल पहले लालकुआं में आंदोलन हुआ था। जिसके बाद इन लठ्ठा मजदूरों को न्याय भी मिला।
किसानों व बिंदुखत्ता के लोगों के लिए संघर्ष
तराई व भाबर के किसानों की मांग व बिंदुखत्ता के लोगों की जमीनी समस्याओं का हल निकलवाने के लिए भी कैलाश पांडे ने संगठन के जरिये लंबे समय तक संघर्ष किया। रुद्रपुर सिडकुल के श्रमिक आंदोलन के दौरान उन्होंने लगातार फैक्ट्री कर्मियों का हौंसला बढ़ाया।
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