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मानवीय दखल व बाजार के दबाव से खतरे में हिमालय

जागरण संवाददाता, नैनीताल : मानवीय दखल व बाजार के दबाव से हिमालयी क्षेत्र पर खतरा बढ़ गया है। केदारना

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 07:08 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 07:08 PM (IST)
मानवीय दखल व बाजार के दबाव से खतरे में हिमालय
मानवीय दखल व बाजार के दबाव से खतरे में हिमालय

जागरण संवाददाता, नैनीताल : मानवीय दखल व बाजार के दबाव से हिमालयी क्षेत्र पर खतरा बढ़ गया है। केदारनाथ समेत कैलास मानसरोवर क्षेत्र में हेली सेवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से प्रतिबंधित करना चाहिए। हिमालय के संरक्षण के लिए भारत को नेपाल, भूटान और तिब्बत के साथ प्राकृतिक मोर्चा बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री को भी यह सुझाव भेजा गया है। यह बातें गांधी शांति पुरस्कार प्राप्त पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने कहीं।

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सोमवार को डॉ. आरएस टोलिया एटीआई नैनीताल में आपदा प्रबंधन में मीडिया की भूमिका विषयक दो दिनी प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रसिद्ध पर्यावरणविद भट्ट ने हिमालय की संवेदनशीलता और मौजूदा संकट पर बेबाक विचार रखे। उन्होंने कहा कि मीडिया को भी हिमालय को समझना होगा, तभी वह आपदा समेत अन्य घटनाओं का सटीक विश्लेषण कर सकते हैं। भट्ट ने कहा कि राज्य के सीमांत जिले आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हो गए हैं। नदियों का तल उठ रहा है। नदियों के तटों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। प्रकृति समेत हिमालय से छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि दो-तीन दशक बाद आने वाली आपदा एक दो साल के अंतराल में आने लगी है।

भूगर्भीय स्थिति को समझने की नसीहत

भट्ट ने अलकनंदा, गंगा, भागीरथी, धौली के वेग को कोसने के बजाय उनकी भूगर्भीय स्थिति को समझने की भी नसीहत दी। कहा कि नदियों व ग्लेशियर का अध्ययन करने से आपदा के नुकसान को कम किया जा सकता है। महाविकास योजनाओं को लेकर भी उन्होंने पर्यावरणीय दृष्टि से उचित नहीं माना। आपदा प्रबंधन के प्रति उदासीनता के लिए कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति को जिम्मेदार ठहराया।

जंगल बढ़ने के दावों पर सवाल

वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी ने केदारनाथ आपदा से लेकर हुदहुद तूफान तथा दैवीय आपदा की अन्य विभिषिका का उदाहरण देते हुए समझाया कि किस तरह आपदा के दौरान सटीक रिपोटिंग की जा सकती है। उन्होंने सरकार के जंगल बढ़ने के दावे पर भी सवाल उठाए। इससे पहले संस्थान के निदेशक एएस नयाल ने दोनों अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम निदेशक डॉ ओमप्रकाश ने संचालन करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन में ये रहे मौजूद

इस मौके पर कोर्स की सह-समन्वयक डॉ मंजू पाण्डे, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शैलेश कुमार, आरएस राणा, जानकी देवी, मनोज ईष्टवाल, अजय शर्मा, नंदकिशोर जोशी, ऊधमसिंह नगर के जिला सूचना अधिकारी बीसी तिवारी, पिथौरागढ़ के गिरिजाशंकर जोशी के अलावा कई मीडिया कर्मी मौजूद थे।


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