World No Tobacco Day : तंबाकू के कारण गले के कैंसर के रोगी बढ़े, कुमाऊं में एक साल में दो हजार मरीज
तंबाकू से मुंह का कैंसर होता है। इसकी हर पुडिय़ा के बाहर यह वैधानिक चेतावनी स्पष्ट शब्दों में लिखी होती है। फिर भी लोग तंबातू का सेवन करते हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : तंबाकू से मुंह का कैंसर होता है। इसकी हर पुडिय़ा के बाहर यह वैधानिक चेतावनी स्पष्ट शब्दों में लिखी होती है। फिर भी लोग तंबातू का सेवन करते हैं। जिसका नतीजा यह है कि कुमाऊं में ही वर्ष 2019 में केवल गले व मुंह के कैंसर के दो हजार रोगी स्वामी राम कैंसर अस्पताल में उपचार को पहुंचे। हर वर्ष ऐसे रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अस्पताल के निदेशक डॉ. केसी पांडे कहते हैं, इस समय सबसे अधिक संख्या मुंह व गले के कैंसर रोगियों की है। यह खतरनाक स्थिति केवल कुमाऊं में ही नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष में हैं। इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए तंबाकू सेवन से बचना होगा।
अस्पताल में मरीजों की स्थिति
स्वामी राम कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. पांडे का कहना हे कि ओपीडी में कैंसर ग्रस्त 40 मरीज पहुंचते हैं। इसमें से 10 से 15 मरीज मुंह व गले के कैंसर रोगी होते हैं। इनकी हिस्ट्री ली जाती है तो पता चलता है कि ये लोग लंबे समय से तंबाकू का सेवन करते हैं।
लॉकडाउन में बढ़े कैंसर रोगी
कुमाऊं के तमाम लोग कैंसर का इलाज के लिए दिल्ली, लखनऊ, मुंबई व बंगलुरू पहुंचते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब स्वामी राम कैंसर अस्पताल में ही उपचार को पहुंच रहे हैं। इसके चलते अस्पताल के सभी 40 बेड फुल हैं। डॉ. पांडे का कहना है कि प्रतिदिन 40 मरीजों की कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी भी हो रही है। वहीं अस्पताल में एक रेडियोथेरेपी की एक मशीन एक महीने से खराब है। इसके लिए जर्मनी से पाट्र्स आने हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह नहीं आ पा रहे हैं। इसकी वजह से दिक्कत हो रही है।
कैंसर रोगियों को कोरोना खतरा भी अधिक
डॉ. पांडे का कहना है कि कैंसर रोगियों की इम्यूनिटी कम हो जाती है। इसलिए ऐसे रोगियों में कोरोना का खतरा भी अधिक रहता है। इसलिए इन मरीजों का अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
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