जमरानी बांध से रोजाना बचेगा साढ़े तीन करोड़ लीटर भूजल, नलकूपों पर निर्भरता होगी खत्म
बहुउद्देशीय जमरानी बांध परियोजना से पेयजल योजना बनी तो महानगर और आसपास के गांवों का पेयजल संकट समाप्त होने के साथ ही नलकूपों पर निर्भरता लगभग खत्म हो जाएगी। नलकूपों पर निर्भरता खत्म होने से रोजाना साढ़े तीन करोड़ लीटर भूजल बचेगा। इससे भूजल स्तर बढऩे में भी मदद मिलेगी।
हल्द्वानी, जेएनएन: बहुउद्देशीय जमरानी बांध परियोजना से पेयजल योजना बनी तो महानगर और आसपास के गांवों का पेयजल संकट समाप्त होने के साथ ही नलकूपों पर निर्भरता लगभग खत्म हो जाएगी। नलकूपों पर निर्भरता खत्म होने से रोजाना साढ़े तीन करोड़ लीटर भूजल बचेगा। इससे भूजल स्तर बढऩे में भी काफी मदद मिलेगी।
जमरानी बांध परियोजना से हल्द्वानी के लिए पेयजल योजना भी प्रस्तावित है। जल निगम ने पेयजल योजना की 355.50 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर राज्य सरकार को भेज दी है। राज्य सरकार से डीपीआर केंद्र को जाने के बाद एडीबी को भेजी जाएगी। जिसको जमरानी बांध परियोजना में शामिल कर लिया जाएगा। डीपीआर भेजने के साथ ही जल निगम ने भूमि हस्तांतरण आदि पहले चरण के कामों के लिए 14.60 करोड़ रुपये की डिमांड भी सरकार से की है।
रोजाना 80 एमएलडी पानी की जरूरत
वर्तमान में शहर को रोजाना करीब 80 एमएलडी पेयजल की जरूरत होती है। हालांकि जलसंस्थान केवल 65 एमएलडी पानी की ही आपूर्ति कर पाता है। इसमें गौला नदी से 30 एमएलडी और नलकूपों से 35 एमएलडी पानी मिलता है। अगर जमरानी बांध बना तो जलसंस्थान को पर्याप्त पानी मिलने लगेगा। इसके साथ ही नलकूपों से मिलने वाले 35 एमएलडी पानी की निर्भरता भी खत्म हो जाएगी। जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता विशाल कुमार ने बताया कि जमरानी बांध बनने व पेयजल योजना का काम पूरा होने पर नलकूपों से मिलने वाला 35 एमएलडी यानी साढ़े तीन करोड़ लीटर पानी लेना बंद हो जाएगा। इससे रोजाना साढ़े तीन करोड़ लीटर भूजल की बचत होगी। धरा से दोहन बंद होने से भूजल स्तर में भी सुधार आएगा।
1.65 करोड़ लीटर पानी रोजाना अधिक मिलेगा
जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता विशाल कुमार ने बताया कि पेयजल के लिए 80 एमएलडी की मांग के सापेक्ष वर्तमान में 65 एमएलडी पानी ही मिल पा रहा है। वहीं जमरानी बांध से पेयजल योजना बनी तो शीतलाहाट प्लांट से 4.5 एमएलडी, दमुवाढूंगा से 62 एमएलडी और शीशमहल से 30 एमएलडी पानी मिलेगा। इस हिसाब से कुल 96.5 एमएलडी पानी जलसंस्थान को मिलने लगेगा। इससे रोजाना 16.5 एमएलडी यानि एक करोड़ 65 लाख लीटर अधिक पानी जलसंस्थान को मिलेगा। पेयजल योजना बनने से अगले 30 सालों तक हल्द्वानी में किसी तरह का जलसंकट नहीं रहेगा।
वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रयोग होंगे नलकूप
जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता ने बताया कि वर्तमान में शहर के लिए 50 नलकूप बनाए गए हैं। इसके अलावा सिंचाई विभाग के 16 नलकूप भी पूरी तरह पेयजल के लिए प्रयोग होने के कारण जलसंस्थान को हस्तांतरित हो चुके हैं। इसके अलावा आठ और ऐसे नलकूप हैं, जिनसे काफी पानी पेयजल के लिए जलसंस्थान लेता है। जमरानी बांध परियोजना से इन नलकूपों का केवल विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। यदि कभी पेयजल लाइनों में कोई समस्या आई, तभी इन नलकूपों को चलाकर जलापूर्ति की जाएगी।