Year Ender 2021 : इस साल इन तीन बड़ी प्राकृतिक आपदाओं ने उत्तराखंड को दिए गहरे जख्म
इस साल तीन बड़ी प्राकृतिक आपदाओं ने उत्तराखंड को कभी न भूलने वाला जख्म दिया। जिसमें सात फरवरी को चमोली में आई आपदा से बड़ी तबाही मची। अगस्त के आखिरी हफ्ते में सीमांत जिले पिथौरागढ़ के जुम्मा गांव में बादल फटने से हाहाकार मचा।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : इस साल तीन बड़ी प्राकृतिक आपदाओं ने उत्तराखंड को कभी न भूलने वाला जख्म दिया। जिसमें सात फरवरी को चमोली में आई आपदा से बड़ी तबाही मची। अगस्त के आखिरी हफ्ते में सीमांत जिले पिथौरागढ़ के जुम्मा गांव में बादल फटने से हाहाकार मचा। तो अक्टूबर में आई बाढ़ के कारण जनधन की काफी हानि हुई। चमोली आपदा में जहां करीब 70 से अधिक शव बरामद कर किए गए, वहीं डेढ सौ के करीब लोगों का पता नहीं चल सका। वहीं जुम्मा गांव में भारी बारिश के कारण एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। अक्टूर माह में आई आपदा में 75 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
चमोली आपदा
चमोली जिले के रैणी गांव के समीप ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के कारण दर्जनों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हादसे में तपोवन-विष्णुगाड की टनल में फंसे कर्मचारियों और श्रमिकों की मौत हो गई तो आसपास के गांवों में भी भारी तबाही मची। टनल में आए मलबे को साफ कर शवों को लिकालने में रेस्क्यू टीमों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। आइटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के साथ सेना की टीम रेस्क्यू आपरेशन को अंजाम दिया। तकरीबन एक महीने तक रेस्क्यू अभियान चलाया गया। हादसे में करीब 70 से अधिक शव बरामद किए गए तो डेढ सौ के करीब लोगों का पता नहीं चल सका।
जुम्मा गांव में तबाही
इसी साल अगस्त के आखिरी हफ्ते में सीमांत जिले पिथौरागढ़ में भारी बारिश के दौरान जुम्मा गांव में बादल फट गया। पानी के साथ आए मलबे और बोल्डरों ने गांव के सिरोउड्यार और जामुनी तोक में तीन मकान ध्वस्त कर दिए। इन घरों में रह रहे सात लोगों की मौत हो गई। हादसे के दिन ही ग्रामीणों ने मलबे में दबी तीन सगी बहनों के शव निकाल लिए थे। इसके बाद नजदीकी 11वीं वाहिनी एसएसबी की एलागाड़ सीमा चौकी के जवान पैदल घटनास्थल पर पहुंचे थे। यहां करीब एक हफ्ते से अधित समय तक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और राजस्व दल खोज एवं बचाव कार्य चलाया था।
कुमाऊं में बाढ़ ने मचाई तबाही
18 से 19 अक्टूबर को भारी बारिश के कारण आई आपादा ने कुमाऊं में जमकर तबाही मचाई थी। इस आपदा में प्रदेश भर 75 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। कुमाऊं मंडल में 59 और गढ़वाल मंडल में 17 लोगों की जान गई थी। इसमें नैनीताल के 32 लोग शामिल हैं। आपदा के दौरान ही रेड अलर्ट जारी होने के बाद ट्रैकिंग पर निकले लोगों तक सूचना नहीं पहुंच सकी थी। इसी कारण ट्रैकिंग पर निकले आठ लोग लापता हो गए। जिनके शव बरामद कर लिए गए थे।