जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की सैद्धांतिक मंजूरी
जमरानी बांध को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। जन सुनवाई के मामले पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी सहमत हो गए हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन। जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। परियोजना के आड़े आ रही जन सुनवाई के मामले पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी सहमत हो गए हैं। उन्होंने 2009 में पर्यावरण के लिए हुई जन सुनवाई को ही आधार मानते हुए परियोजना को पर्यावरण की सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। अब बांध परियोजना को बजट का इंतजार है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली में जमरानी बांध की पर्यावरण क्लीयरेंस को लेकर बुधवार को बैठक हुई। बांध परियोजना के अधीक्षण अभियंता संजय शुक्ल ने बताया कि बैठक में विभागाध्यक्ष एके दिनकर और मुख्य अभियंता मोहन चंद्र पांडेय ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट की ओर से तीन महीने में जमरानी बांध बनाने के निर्देश, हल्द्वानी के लिए पेयजल की नितांत जरूरत और २००९ में हुई जन सुनवाई को ही आधार मानने का तर्क देते हुए इसे मंजूरी दिलाने का आग्रह किया गया।
बैठक में अधिकारियों ने इन तर्कों पर सहमति जताते हुए जमरानी बांध क्षेत्र के तीन महीन में पर्यावरण में आए बदलाव की रिपोर्ट पेश करने को कहा। इसी शर्त में पर्यावरण की सैद्धांतिक सहमति दे दी है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण अधिकारियों को विभागाध्यक्ष एके दिनकर ने आश्वस्त किया कि पर्यावरण मंजूरी मिलते ही बांध परियोजना के निर्माण के लिए धन की व्यवस्था कर ली जाएगी। इसके लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने आश्वस्त किया है। सिंचाई अधिकारियों के तर्कों से संतुष्ट होते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
बांध निर्माण की दिशा में अब कोई अड़चन नहीं
सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने से बांध निर्माण की दिशा में अब कोई अड़चन नहीं रह गई है। तीन महीने की पर्यावरण की रिपोर्ट जल्द वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सौंप दी जाएगी। अब बांध निर्माण में आ रही सभी बाधाएं दूर हो गई हैं। हल्द्वानी में जमरानी बांध निर्माण का मार्ग साफ हो गया है। - मोहन चंद्र पांडेय, मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग।
जन सुनवाई के तीन माह के अंदर मिलनी होती है परियोजना को मंजूरी
बांध परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी मिलने में जन सुनवाई का पेच आ रहा था। किसी परियोजना की जन सुनवाई के तीन साल के भीतर परियोजना को मंजूरी मिलनी जरूरी होती है, अन्यथा दोबारा जन सुनवाई करानी पड़ती है। सिंचाई अधिकारी जन सुनवाई को लेकर आशंकित थे। सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने पूर्व में हुई जन सुनवाई को ही आधार मानने का आग्रह केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों और वन मंत्री से किया था।
क्षतिपूर्ति के बाद वन विभाग की भी मिल जाएगी मंजूरी
जमरानी बांध परियोजना की वन की मंजूरी भी अभी सैद्धांतिक ही मिली है। सिंचाई विभाग ने क्षतिपूर्ति के एवज में 89 करोड़ रुपये वन विभाग को देने हैं। विभाग ने क्षतिपूर्ति के 89करोड़ रुपये शासन से मांगे हैं। क्षतिपूर्ति जमा होने के बाद वन की औपचारिक स्वीकृति मिल जाएगी। पर्यावरण की तीन महीने की रिपोर्ट पेश करने पर औपचारिक स्वीकृति का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
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