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Pravesh Death Case : घर में इकलौता कमाने वाला था मृतक प्रवेश, पर‍िवार को खाने के लाले, बच्‍चाेंं का स्‍कूल छूटा

Pravesh Death Case सात लोगों के परिवार में वह अकेला कमाने वाला था। मेहनत-मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पेट पाल रहा था। उसकी मौत के बाद से परिवार के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 07:05 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 07:05 PM (IST)
Pravesh Death Case : घर में इकलौता कमाने वाला था मृतक प्रवेश, पर‍िवार को खाने के लाले, बच्‍चाेंं का स्‍कूल छूटा
अब उसके परिवार के शेष छह लोगों के सामने जीवन यापन का संकट है।

जागरण संवाददाता, काशीपुर : मृतक प्रवेश और उसके परिवार की कहानी गरीबी बयां करती है। सात लोगों के परिवार में वह अकेला कमाने वाला था। मेहनत-मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पेट पाल रहा था। उसकी मौत के बाद से परिवार के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। पत्नी घरों में काम करके किसी तरह दो जून की रोटी का इंतजाम कर रही है। ध्वस्त हुई आर्थिक स्थिति के चलते उसके बच्चे स्कूल जाने को तरस रहे हैं।

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उप कारागार में जान गवाने वाला प्रवेश मूलरूप से यूपी के चंदौसी का रहने वाला था। उसके भाई व अन्य स्वजन आज भी यूपी में ही रहते हैं। कुंडेश्वरी में उसकी शादी हुई थी। पारिवारिक कारणों से लगभग आठ साल पहले वह चंदौसी से यहां आकर रहने लगा। किसी तरह मेहनत-मजदूरी करके वह जीवन यापन कर रहा था। पीड़िता के अधिवक्ता संजीव कुमार आकाश बताते हैं कि मुफलिसी में जी रहे परिवार को सहारे की जरूरत है, लेकिन अभी तक किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया है। जब तक जिंदा था प्रवेश मजदूरी करके सात लोगों के परिवार का पेट पालता था। आगे भी पालता रहता अगर उसकी मौत न हो हुई होती। अब उसके परिवार के शेष छह लोगों के सामने जीवन यापन का संकट है।

जब कोई रास्ता नहीं बचा तो प्रवेश की पत्नी ने घरों में काम करना शुरू कर दिया। घरों में काम करके जो पैसा मिलता है उससे वह अपने बच्चों को पाल रही है। गरीबी के चलते महिला के बच्चे स्कूल जाने को तरस रहे हैं। उन्हें इस जन्म में एक बेहतर जिंदगी मिल पाएगी या नहीं इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। महिला गरीबी से जूझ रही है, लेकिन वह चाहती है कि पति की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को किसी भी हाल में बख्शा न जाए।


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