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आग से हुई क्षति का वास्तविक भुगतान करे बीमा कंपनी, जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनाया फैसला

बीमा कंपनी को 400248 रुपये का भुगतान एक माह के भीतर करने का आदेश देते हुए कहा कि निर्धारित समय में भुगतान नहीं करने पर बीमा कंपनी को वाद दायर करने की तिथि से भुगतान तक छह प्रतिशत ब्याज भी देना होगा।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 04:10 PM (IST)
आग से हुई क्षति का वास्तविक भुगतान करे बीमा कंपनी, जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनाया फैसला
बीमा कंपनी के हानि आगणन और बीमित धनराशि में से जो कम है परिवादी उसे पाने का अधिकारी है।

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : आग लगने से हुई क्षति के मामले में बीमा राशि से कम भुगतान को जिला उपभोक्ता आयोग ने अस्वीकार कर दिया है। आयोग ने कंपनी की सर्वे रिपोर्ट को आधार मान वास्तविक क्षति का भुगतान करने के आदेश बीमा कंपनी को दिए हैं।

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लुन्ठयुड़ा वार्ड में परचून की दुकान चलाने वाले बसंत बल्लभ पुनेड़ा की दुकान में दिसंबर 2009 में आग से करीब चार लाख का सामान जल गया। बसंत ने स्टेट बैंक से दुकान संचालित करने के लिए सीसी लिमिट ली थी। बैंक ने लिमिट जारी करते समय ही द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से दुकान का बीमा करवा दिया था। अग्निशमन अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बसंत को 3.75 लाख की क्षति होने की आख्या दी थी। बीमा कंपनी के सर्वेयर जीसी जोशी ने भी चार लाख के भुगतान की रिपोर्ट बसंत को देने का भरोसा दिया। लेकिन बीमा कंपनी ने कुल नुकसान 62148 का माना और कटौतियों के बाद 57316 की धनराशि चेक के माध्यम से बसंत के ऋण खाते में जमा कर दी। बसंत ने वास्तविक क्षति का भुगतान करने को सेवा में कमी मानते हुए मामला उपभोक्ता विषाद प्रतितोष आयोग के सामने रखा।

 बीमा कंपनी ने आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बसंत ने अपने दावे के समर्थन में कोई महत्वपूर्ण अभिलेख और तकनीकी एक्सपर्ट की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। बीमा कंपनी के सर्वेयर ने अपनी जांच में कुल क्षति 62148 रुपये की पाई। इसमें से कटौती के बाद 57316 रुपये का भुगतान कर दिया गया है।

आयोग के अध्यक्ष एवं जिला जज डा. जीके शर्मा और सदस्य चंचल सिंह बिष्ट ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी के सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में बसंत को 400248 रुपये का नुकसान माना है, जबकि एसेसमेंट क्लाज में 62148 का ही भुगतान किया गया है। बीमा कंपनी के सर्वेयर ने हानि के आगणन और एसेसमेंट के अंतर को स्पष्ट नहीं किया है। ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी के हानि आगणन और बीमित धनराशि में से जो कम है बसंत बल्लभ (परिवादी) उसे पाने का अधिकारी है।

आयोग ने अपने फैसले में बीमा कंपनी को 400248 रुपये का भुगतान एक माह के भीतर करने का आदेश देते हुए कहा कि निर्धारित समय में भुगतान नहीं करने पर बीमा कंपनी को वाद दायर करने की तिथि से भुगतान तक छह प्रतिशत ब्याज भी देना होगा। आयोग ने बसंत बल्लभ को पांच हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और पांच हजार रुपये वाद व्यय के रू प में बीमा कंपनी से पाने का अधिकारी भी माना है।

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