स्वास्थ्य विभाग का अजब हाल, स्वस्थ प्रधानाचार्य को कोरोना संक्रमित बताकर कर दिया होम आइसोलेट
जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी 17 दिन तक होम आइसोलेट किया गया। कैल्शियम की गोलियां खिलाई गई। होम आइसोलेशन खत्म होने पर जब वह घर से बाहर निकले तो पता चला कि उन्हें कोरोना था ही नहीं।
भानु जोशी, हल्द्वानी : स्वास्थ्य विभाग की एक और लापरवाही सामने आई है। विभाग ने हल्द्वानी के एक स्कूल के प्रधानाचार्य को स्वस्थ होने के बावजूद कोरोना संक्रमित बता दिया। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी 17 दिन तक होम आइसोलेट किया गया। कैल्शियम की गोलियां खिलाई गई। होम आइसोलेशन खत्म होने पर जब वह घर से बाहर निकले तो पता चला कि उन्हें कोरोना था ही नहीं। स्वास्थ्य विभाग ने 20 और 23 नवंबर को बरेली रोड स्थित महात्मा गांधी इंटर कालेज में बच्चों, शिक्षकों और स्टाफ की सैंपलिंग की थी 24 नवंबर को प्रधानाचार्य नवीन चंद्र आर्य को कोविड कंट्रोल रूम से फोन पर बताया गया कि उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट पाजिटिव आई है। उन्हें 17 दिन होम आइसोलेट रहने की सलाह दी गई। इसके लिए बाकायदा मोटाहल्दू पीएचसी के एक डाक्टर ने उन्हें फोन कर पता पूछा। इसके बाद प्रधानाचार्य के दमुवाढूंगा जवाहर ज्योति स्थित घर से दूर एक गली में स्वास्थ्य विभाग का एक वाहन आया। जिसमें से एक व्यक्ति उनके बेटे को 17 दिन की कैल्शियम की खुराक देकर घर पर कोरोना संक्रमण होने से संबंधित एक नोटिस चस्पा कर वहां से चला गया। उन्हें रोजाना दवा की खुराक समय पर लेने और स्वास्थ्य का हालचाल जानने के लिए फोन किया जाता रहा। इधर, छह दिसंबर को उन्हें स्वस्थ बताकर होम आइसोलेशन से डिस्चार्ज होने की स्लिप दे दी गई।
शिक्षकों ने लगाया असली रिपोर्ट का पता
17 दिन होम आइसोलेशन में रखने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने न तो प्रधानाचार्य आर्य और न ही उनके स्वजनों को कोरोना जांच रिपोर्ट देना उचित समझा। इससे उनके स्कूल के कुछ शिक्षकों का माथा ठनका और उन्होंने असली रिपोर्ट हासिल करने की जुगत लगाई। रिपोर्ट हासिल हुई तो उसमें यह दर्शाया गया था कि प्रधानाचार्य की रिपोर्ट 21 नवंबर को ही निगेटिव आ गई थी।
जो छात्रा पढ़ती नहीं उसे बता दिया पाजिटिव
प्रधानाचार्य आर्य ने बताया कि 23 नवंबर को 97 लोगों के स्कूल से सैंपल लिए गए थे। इसी शाम को उनके पास कोरोना कंट्रोल रूम से फोन आया कि उनके स्कूल की रेनू नाम की छात्रा कोरोना संक्रमित पाई गई है, जिसकी उम्र 22 साल है। तमाम रजिस्टर और कोरोना जांच लिस्ट खंगालने के बावजूद इस नाम की कोई छात्रा उनके स्कूल में नहीं मिली। इसके बावजूद देर शाम तक लगातार इस संबंध में फोन आते रहे। बताया कि इसी दिन देहरादून कोविड सेंटर से भी इसी की पुष्टि के लिए फोन आया था।
प्रार्थना पत्र लिखवा लिया
प्रधानाचार्य ने बताया कि होम आइसोलेशन की सुविधा के लिए उनसे एक प्रार्थना पत्र लिखने को कहा गया। उन्होंने उसी समय पत्र लिखा जिसे लेने आज तक कोई नहीं आया है। अब यहां सवाल यह उठता है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग ने डीएम से होम आइसोलेशन की अनुमति लेनी क्यों जरूरी नहीं समझी?
डिस्चार्ज स्लिप में घालमेल
पीएचसी मोटाहल्दू के चिकित्सा अधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर लगी एक स्लिप प्रधानाचार्य आर्य को होम आइसोलेशन अवधि पूरी होने के बाद दी गई। जिसमें होम होम आइसोलेशन 20 नवंबर से छह दिसंबर तक रखने की बात कही गई है। जबकि, शिक्षकों को दी गई कोरोना जांच रिपोर्ट में सैंपल टेस्टिंग 21 नवंबर को होने की बात लिखी है। यहां ये बात समझ से बाहर है कि जिस व्यक्ति की रिपोर्ट 21 नवंबर को जांची गई, आखिर उसे कैसे एक दिन पहले ही होम आइसोलेट कर दिया गया?
पीएचसी मोटाहल्दू के चिकित्सा अधिकारी डा. हरीश पांडे ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने से पहले आइसोलेट नहीं किया जाता है। हमारे पास जांच लिस्ट सीएमओ कार्यालय से आती है उसी के अनुसार संक्रमितों को होम आइसोलेशन या अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी जाती है। वहीं, सीएमओ डा. भागीरथी जोशी ने का कहना है कि रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद होम आइसोलेट करना होता है। रिपोर्ट आने से पहले ही आइसोलेट नहीं किया जाता है। शायद कोई मानवीय भूल हुई होगी। इस बारे में जानकारी लूंगी।