शिक्षकों की रंग लाई मेहनत, चम्पावत संस्कृत विद्यालय में बढ़ी छात्र संख्या, 100 से पहुंची 312
पिछले शैक्षिक सत्र में यहां हाईस्कूल और इंटर में महज 13 छात्र रह गए थे। इस बार हाईस्कूल में 47 और इंटर मीडिएट में 96 छात्र पंजीकृत हैं। छात्र संख्या बढऩे पर स्कूल प्रबंधन ने राहत की सांस ली है।
जागरण संवाददाता, चम्पावत : आजादी के पूर्व वर्ष 1935 में स्थापित चम्पावत का एंग्लो संस्कृत विद्यालय में अब छात्र संख्या बढऩे लगी है। पिछले शैक्षिक सत्र में यहां हाईस्कूल और इंटर में महज 13 छात्र रह गए थे। इस बार हाईस्कूल में 47 और इंटर मीडिएट में 96 छात्र पंजीकृत हैं। छात्र संख्या बढऩे पर स्कूल प्रबंधन ने राहत की सांस ली है।
कभी छात्र संख्या के लिहाज से धनी इस विद्यालय के लिए बीते पांच शैक्षिक सत्र निराश करने वाले रहे। पांच साल में यहां छात्र संख्या 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई। इस बार कक्षा छह से 12 तक 312 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। छात्र संख्या में कमी का कारण विद्यालय में शिक्षकों के खाली पद और बेहतर सुविधाएं न होना जिम्मेदार माना जा रहा था। हालांकि विद्यालय में अभी भी प्रमुख विषयों के शिक्षकों के पद नहीं भरे जा सके हैं, लेकिन कक्षा कक्षों के साथ शिक्षण की अन्य सभी बुनियादी सुविधाएं पहले से बेहतर हुई हैं। यहां हाईस्कूल में इस समय 47, इंटर ए और बी सेक्शन में 96, कक्षा छह में 21, सात में 18, आठ में 12, नौ में 39 तथा कक्षा 11 के सेक्शन ए व बी में 79 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं।
शीतकालीन अवकाश होने से सभी छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। संसाधनों की बात करें तो विद्यालय में कक्ष और फर्नीचर की कमी नहीं है लेकिन स्टॉफ और पेयजल की समस्या बनी हुई है। वर्तमान में यहां इंटर जीव विज्ञान प्रवक्ता का पद खाली है। हाईस्कूल में हिंदी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान के शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। तीन शिक्षक संविदा में कार्यरत हैं। उदय प्रताप मिश्र गत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन सत्र लाभ के चलते 31 मार्च तक बने रहेंगे।
अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय होने से कॉलेज प्रबंधन को पेयजल समेत अन्य छुट पुट समस्याओं का निस्तारण स्वयं करना पड़ता है। छात्रों की कमी के चलते सरकार की ओर से मिलने वाली एड काफी कम कर दी गई थी। अब संख्या बढऩे के बाद इस समस्या के समाधान की भी उम्मीद है। अभिभावक हरीश पांडेय, कैलाश शर्मा, विवेक राय ने बताया कि एंग्लो संस्कृत विद्यालय जिले का सबसे पुराना स्कूल है, लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण गत सत्र तक छात्र संख्या लगातार कम रही। उन्होंने बताया कि विद्यालय के विकास में ध्यान दिया जाए तो जिला मुख्यालय के अलावा अन्य स्थानों से छात्र संस्कृत की पढ़ाई के लिए देवीधुरा संस्कृत महाविद्यालय के बजाए यहां आना पसंद करेंगे।
संविदा में तैनात शिक्षकों को मानदेय के लाले
संस्कृत विद्यालय में संविदा में रखे गए तीन शिक्षकों को समय पर मानदेय नहीं मिल पाता। तीन से पांच माह तक उन्हें मानदेय का इंतजार करना पड़ता है। इन शिक्षकों को शासन से नियुक्ति पत्र न मिल पाने के कारण मानदेय निकालना मुश्किल हो गया है।
संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य उदय प्रताप मिश्र ने बताया कि संस्कृत विद्यालय में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षकों की ओर से व्यक्तिगत रूप से प्रयास किए जा रहे हैं। इसी प्रयास का प्रतिफल है कि इस सत्र में छात्र संख्या बढ़ी है। विद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को आकर्षक बनाया गया है। भूतपूर्व अभिभवकों से भी इस कार्य में सहयोग लिया जा रहा है।
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