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पिथौरागढ़ में आस्ट्रेलियाई भेड़ों का पहला सफल प्रजनन, उच्च हिमालय के भेड़ पालकों को वितरित किए जाएंगी नर भेड़

उत्तराखंड सरकार ने आस्ट्रेलिया से पांच नर भेड़ पिथौरागढ़ जिले को दी है जिन्हें आठ हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित पांगू गांव के पशुपालन फार्म में रखा गया था। इन नर भेड़ों के जरिए फार्म में पहला प्रजनन कराया गया जो सफल रहा।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 04:09 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 09:11 PM (IST)
पिथौरागढ़ में आस्ट्रेलियाई भेड़ों का पहला सफल प्रजनन, उच्च हिमालय के भेड़ पालकों को वितरित किए जाएंगी नर भेड़
पशुपालन विभाग इनकी संख्या बढ़ाकर इन्हें स्थानीय पशुपालकों को उपलब्ध कराएगा।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में ऊन और मांस उत्पादन बढ़ाने के लिए आस्ट्रेलिया से मंगाई गई मेरिनो प्रजाति की भेड़ों से पहला सफल प्रजनन हो गया है। पहले प्रजनन से दो नर भेड़ों ने जन्म लिया है। पशुपालन विभाग इनकी संख्या बढ़ाकर इन्हें स्थानीय पशुपालकों को उपलब्ध कराएगा। उत्तराखंड के हिमालयी गांवों में सदियों से भेड़ पालन होता रहा है। स्थानीय ग्रामीण ऊन उत्पादन और मांस का कारोबार कर अपनी आजीविका चलाते हैं। इन गांवों में एक ही प्रजाति कि भेड़ अब तक पाली जा रही है।

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भेड़ों में नस्ल सुधार नहीं होने से धीरे-धीरे ऊन उत्पादन और मांस कारोबार में गिरावट आ रही थी। इसे देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने आस्ट्रेलिया से दुनिया की सबसे उन्नत माने जाने वाली मेरिनो नस्ल की भेड़ आयात की थी। इनमें से पांच नर भेड़ पिथौरागढ़ जिले को दी गई हैं, जिन्हें आठ हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित पांगू गांव के पशुपालन फार्म में रखा गया था। इन नर भेड़ों के जरिए फार्म में पहला प्रजनन कराया गया जो सफल रहा। फार्म में दो नर भेड़ों ने जन्म लिया है।

पशुपालन विभाग इनकी संख्या बीस तक बढ़ाने के बाद इन्हें नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत स्थानीय भेड़ पालकों को उपलब्ध करा देगा। इससे आने वाले कुछ वर्षो में जिले में उत्पादित होने वाले ऊन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा। पहल सफल प्रजनन से पशुपालन विभाग को खासी उम्मीदें हैं। उपमुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा.पंकज जोशी आस्टे्रलिया से मंगाई गई मैरिनो प्रजाति की भेड़ों से पहला प्रजनन पांगू फार्म में हुआ है। धीरे-धीरे भेड़ों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इन्हें स्थानीय भेड़ पालकों को अंशदान के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा। अगले कुछ वर्षो में ऊन कारोबार में अच्छी प्रगति होगी। 


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