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ढैंचा बीज घोटाले में बढ़ सकती हैं सीएम व पूर्व सीएम की मुश्किलें

हाई कोर्ट ने ढैंचा बीज घोटाला मामले में अगली सुनवाई 18 मार्च नियत कर दी। याचिका में त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा अफसरों को पक्षकार बनाया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 08:15 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 08:15 PM (IST)
ढैंचा बीज घोटाले में बढ़ सकती हैं सीएम व पूर्व सीएम की मुश्किलें
ढैंचा बीज घोटाले में बढ़ सकती हैं सीएम व पूर्व सीएम की मुश्किलें

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने ढैंचा बीज घोटाला मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अगली सुनवाई 18 मार्च नियत कर दी। जनहित याचिका में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा अफसरों को पक्षकार बनाया गया है। गाजियाबाद निवासी जयप्रकाश डबराल ने जनहित याचिका दायर कर घोटाले की हाई कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि ढैंचा बीज खरीद संबंधी निविदा को निरस्त करते हुए सरकार को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति घोटाले में शामिल आरोपितों से की जानी चाहिए। घोटाले में शामिल अफसरों की पदोन्नति रोकने का आग्रह भी याचिका में किया गया है।

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इस मामले में तत्कालीन कृषि मंत्री व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश व रणबीर सिंह, कृषि निदेशक, अपर निदेशक कृषि गढ़वाल व रामनगर बैडलड़ाव स्थित निजी संस्था निधि सीड्स को भी पक्षकार बनाया गया है। आरोप लगाया है कि खरीफ की फसल बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज की खरीद की गई मगर समुचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने कार्यकाल में त्रिपाठी आयोग द्वारा जांच की गई मगर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा आयोग की रिपोर्ट पर छह माह तक कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।

यह था मामला ढैंचा बीज घोटाला मामला

2005-06 में तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में खरीफ की फसल को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज खरीद की प्रक्रिया शुरू की गई। आरोप लगा कि निर्धारित मूल्य से 60 गुना अधिक दर पर ढैंचा खरीदा गया। याचिकाकर्ता ने याचिका में आरोप लगाया है कि जिन ट्रकों से ढैंचा मंगाया गया, उन ट्रकों का टोल बैरियर में उल्लेख ही नहीं है। इस मामले में तत्कालीन कृषि मंत्री व वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, तत्कालीन कृषि सचिव ओमप्रकाश, तत्कालीन कृषि निदेशक मदन लाल पर भी आरोप लगाया गया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस कथित घोटाले की जांच के लिए त्रिपाठी आयोग बनाया गया। आरोप लगाया कि आयोग की रिपोर्ट पर कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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