कुमाऊं विश्वविद्यालय के अस्थाई कार्मिकों पर लटकी तलवार, शासन ने मांगा ब्योरा
फर्जी डिग्री की खेप मिलने से मुसीबत में घिरे कुमाऊं विवि के सामने एक और दिक्कत पैदा हो गई है। शासन ने बिना पदों की स्वीकृति के अस्थाई कार्मिकों की नियुक्ति का पूरा ब्योरा मांगा है।
नैनीताल, जेएनएन : फर्जी डिग्री की खेप मिलने से मुसीबत में घिरे कुमाऊं विवि के सामने एक और दिक्कत पैदा हो गई है। विवि में बिना पदों की स्वीकृति के अस्थाई कार्मिकों की नियुक्ति के मामले में शासन ने पूरा ब्योरा मांग लिया है। विवि प्रशासन अब ब्योरा तैयार करने में जुट गया है। दरअसल, शासन को गोपनीय शिकायत भेजी गई है, जिसमें साफ कहा गया है कि कुमाऊं विवि में नियुक्तियों में मानकों की अनदेखी की जा रही है। मानकों व शर्तों को दरकिनार कर चहेतों व सगे संबंधियों को पहले अस्थाई फिर स्थाई नियुक्ति देने का खेल चल रहा है। इस शिकायत के आधार पर शासन ने विवि प्रशासन से अस्थाई-स्थाई कर्मियों का ब्योरा तलब किया है। सूत्रों के अनुसार शासन के सख्त तेवरों के बाद विवि प्रशासन की ओर से कार्मिकों का ब्योरा तैयार किया गया है। बिना पद के तैनात कार्मिकों की संख्या सौ से अधिक है। कुलपति प्रो. डीके नौडिय़ाल का कहना है कि उनके कार्यकाल में इस तरह की कोई नियुक्तियां नहीं हुई हैं। शासन के पत्र के आधार पर ब्योरा भेजा जा रहा है।
वेतन का भी संकट होना तय : नई परिस्थितियों के बाद विवि में कार्यरत ऐसे कार्मिकों के मानदेय को लेकर भी पेच फंस सकता है। जानकारों के अनुसार विवि परीक्षा विभाग व अन्य पटलों पर नितांत अस्थाई तौर पर ऐसे कार्मिकों की नियुक्ति की गई थी। अब तक इन कार्मिकों के मानदेय की दिक्कत नहीं आती थी, लेकिन प्राइवेट परीक्षा का जिम्मा छीनने के बाद विश्वविद्यालय को सीधे तौर पर 15 करोड़ से अधिक सालाना आर्थिक नुकसान हो रहा है। बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार मंजूर पदों से इतर कार्यरत कार्मिकों को वेतन किस मद से दिया जाए यह सवाल विवि प्रशासन को परेशान किए है।
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