शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है लेमनग्रास की चाय व काढ़ा
वन अनुसंधान केंद्र के क्षेत्र अधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि सुगंधित पौधे वाटिका में लेमन ग्रास लगाने का उद्देश्य आसपास के किसानों को इसके फायदों के बारे में जानकारी देना है। उन्होंने बताया कि इस पौधे का वानस्पतिक नाम सिम्बोपोगौंन सिट्रेप्स है।
जागरण संवाददाता, लालकुआं : नींबू घास, लेमन घास, हरी घास व गंधत्त सुगंधित तेल के साथ ही बहुत स्वादिष्ट व प्रकार्तिक चाय व काढ़ा भी बनाया जाता है। इस पौधे को वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं की सुगंधित पौध वाटिका में लगाया गया है।
वन अनुसंधान केंद्र के क्षेत्र अधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि सुगंधित पौधे वाटिका में लेमन ग्रास लगाने का उद्देश्य आसपास के किसानों को इसके फायदों के बारे में जानकारी देना है। उन्होंने बताया कि इस पौधे का वानस्पतिक नाम सिम्बोपोगौंन सिट्रेप्स है। यह पॉयसी कुल का पौधा है। इस सुगंधित घास से निकले तेल से साबुन, इत्र समेत अन्य सौंदर्य प्रसाधन बनाये जाते है। यह मच्छर रोधी भी है। इसके अलावा इसके पत्तियों की चाय व काढ़ा पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
बुखार होने पर इसके पत्तों का काढ़ा पीने से तुरंत लाभ होता है। लेमनग्रास एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लामेंटरी और एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होती है। जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के निदान में मददगार होती है। वहीं दिमाग तेज करने के लिए भी यह बेहतरीन है। पेट से संबंधित समस्याएं जैसे पेट दर्द, गैस, पेट फूलना, कब्ज, अपच, जी मिचलाना या उल्टी आना जैसी समस्याओं में भी यह असरकार औषधि है। खेतों के मेड व नालियों के किनारे लगाने से भू कटाव तो रुकता ही है साथ ही किसानों को काफी फायदा भी मिलता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ पूजा पांडेय ने बताया कि लेमन ग्रास की चाय व काढ़ा स्वास्थ्य के काफी लाभप्रद है। इसमे एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है। इसलिए इसके पत्तों को ग्रीट टी के स्थान पर भी स्तेमाल किया जा सकता है।
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