सेब का दाना आकार में छोटा, लेकिन मिठास भरपूर
सेब का दाना आकार में छोटा, लेकिन मिठास भरपूर, बाजार में इस समय सेब व नाशपाती का राज
नैनीताल, [जेएनएन]: सेब है ही ऐसा फल कि नाम सुनते ही जुबां पर उसकी मिठास घुलने लगती है। हिमाचल, कश्मीर का सेब अपनी लालिमा के लिए, अपने स्वाद के लिए जाना जाता है, मगर अपने कुमाऊं में रामगढ़ का सेब भी कम मीठा नहीं है। इस समय सेब का सीजन है और रामगढ़ के सेब ने बाजार में अपनी धमक बरकरार रखी है।
रामगढ़ फल पट्टी है। यहां की मिट्टी में पनपने वाले फल अपने लाजवाब टेस्ट से हर दिल पर राज करते हैं। रामगढ़ के साथ ही आसपास के इलाकों लेटीबूंगा, धानाचूली, हरतोला, मुक्तेश्वर, नथुवाखान और हरतपा में सेब उत्पादन किया जाता है। रामगढ़ के सेब ही
सबसे बड़ी खासियत इसके
दाने का आकार काफी छोटा होना है। रंग हल्का पीला और लाल है। इस बार मौसम ने किसानों का बहुत साथ तो नहीं दिया, लेकिन बागों में पेड़ों पर जो फल लदे हैं, उनकी बाजार में दस्तक के बाद जुबां को इसी सेब का स्वाद पसंद आ रहा है। सेब के साथ-साथ नाशपाती भी खूब बिक रही है। हल्द्वानी में यह सेब उपलब्ध है और बेहतरीन बाजार देखना हो तो रामगढ़, मुक्तेश्वर, धानाचली की तरफ चले आइए। सड़क किनारे सेब चमक बिखेर रहा है। इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं है। ठंडा इलाका होने के चलते हर साल इस फलपट्टी में तीन से चार टन सेब का उत्पादन किया जाता है। कई लोग इससे जुड़े हैं।
पूरे कुमाऊं में होती है सेब की सप्लाई
रामगढ़ के सेब की सप्लाई पूरे कुमाऊं में होती है। हल्द्वानी थोक मंडी है और यहीं से सेब पहाड़ के लिए भी भेजा जाता है। मौसम में इतनी ठंडक है कि सेब के लिए यह सबसे ज्यादा फायदेमंद रहता है। रामगढ़ वाले इलाके में सेब के साथ ही जिन अन्य स्थानीय फसलों का उत्पादन होता है, उनकी भी बाजार में खास डिमांड है। इनमें खास है नाशपाती। यह मीठा फल है और शरीर के लिए भी फायदेमंद माना गया है। किसान बागों में फलों के तैयार होने के बाद खुद ही इसे तोड़ते हैं, पैकिंग करते हैं और कुमाऊं के बाजार म उपलब्ध कराते है।
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