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हजार दिन तक करें मां-बेटे की देखभाल, लापरवाही बिगाड़ सकती है सेहत

जन्म के हजार दिन तक मां और बच्चे का खयाल रखना बेहद जरूरी है। अगर इसमें जरा सी भी लापरवाही होती है तो दिक्कतें आ सकती हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 05:16 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 09:22 AM (IST)
हजार दिन तक करें मां-बेटे की देखभाल, लापरवाही बिगाड़ सकती है सेहत
हजार दिन तक करें मां-बेटे की देखभाल, लापरवाही बिगाड़ सकती है सेहत

हल्द्वानी, [जेएनएन]: एक-दो दिनों की देखभाल से बच्चों की सेहत को बेहतर नहीं बनाया जा सकता। बाल स्वास्थ्य के लिए एक हजार दिनों की देखभाल जरूरी है। इसमें गर्भावस्था के 270 दिन। जन्म के बाद छह माह तक के शिशु के 180 दिन और छह माह से दो वर्ष तक की आयु के 550 दिन महत्वपूर्ण हैं। इन एक हजार दिनों में कुछ दिनों की लापरवाही नवजात शिशुओं के साथ ही मां की सेहत भी बिगाड़ सकती है। 

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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के प्रति परिवार की चिंता बढ़ जाती है, लेकिन शिशु की सेहत को केवल गर्भावस्था के दौरान की गई देखभाल के सहारे ही नहीं छोड़ा जा सकता। शिशु के जन्म के छह माह तक विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर इन बातों के प्रति महिलाएं जागरूक होती हैं, लेकिन छह माह से दो वर्ष तक के बच्चे की देखभाल भी उतनी ही जरूरी है, जितनी कि किसी नवजात शिशु की। छह माह के बच्चे को दूध के साथ ही ऊपरी आहार देना आरंभ कर दिया जाता है। इस आहार में किसी तरह की कमी व गलत तरीके से बच्चों को खिलाया गया आहार उन्हें कुपोषित बना सकती है।

मौसमी फलों के सेवन से रहेंगे स्वस्थ

हर तरह के सीजनल फल खाने चाहिए। अलग-अलग रंगों की वजह से फलों में मौजूद विटामिन व मिनरल्स की खूबी भी अलग होती है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए सीजनल फलों को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए। डायटीशियन गुनीत बताती हैं, भोजन में सलाद हमेशा ज्यादा करना चाहिए। सीजन के अनुसार सलाद खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद है, क्योंकि सलाद से फाइबर मिलता है। हरी सब्जियां सेहत के लिए बेहतर मानी जाती है। हरी सब्जी से शरीर में आयरन की पूर्ति होती है। सफेद चावल से अच्छा है हम अपने भोजन में ब्राउन चावल का इस्तेमाल करें। 

चने के आटे से बेहतर है कि हम रोस्टेड चने का सेवन करें। मैदे से तैयार किए गए खाद्य पदाथरें का सेवन कम करना चाहिए। प्रोटीन शरीर के विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। गेहूं, अंडा, सोयाबीन इसका अच्छा स्रोत है। दूध और दूग्ध उत्पादों में कैल्सियम, फासफोरस होता है। हमें आलिव ऑयल, रासस बर्न ऑयल, कोकोनट व मस्टर्ड ऑयल का भी इस्तेमाल करना चाहिए।

जिला कार्यक्रम अधिकारी नैनीताल अनुलेखा बिष्ट बताती हैं कि महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग एक से सात सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजन कर रहा है। इसके अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों में मां और नवजात शिशुओं की सेहत के प्रति लोगों का जागरूक किया जा रहा है।

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