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जिसने दिया था महानायक को अमिताभ बच्‍चन नाम, आज है उनकी पुण्‍यतिथि

सदी के महानायक बिग बी का नाम अमिताभ बच्‍चन किसी और ने नहीं बल्कि छायावादी कवि सुमिनंदन पंत ने दिया था। बिग बी ने ये बातें खुद केबीसी होस्‍ट करने के दौरान अपने निजी जीवन की बातें साझा करते हुए कही थीं। आज सुमिनंदन पंत की पुण्‍यतिथि है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 10:05 AM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 10:05 AM (IST)
जिसने दिया था महानायक को अमिताभ बच्‍चन नाम, आज है उनकी पुण्‍यतिथि
सुमित्रानंदन पंत ने दिया था बिग बी को अमिताभ बच्‍चन नाम, जानिए प्रकृति के सुकुमार कवि के बारे में

नैनीताल, जागरण संवाददाता : सदी के महानायक बिग बी का नाम अमिताभ बच्‍चन किसी और ने नहीं, बल्कि छायावादी कवि सुमिनंदन पंत ने दिया था। बिग बी ने ये बातें खुद केबीसी होस्‍ट करने के दौरान अपने निजी जीवन की बातें साझा करते हुए कही थीं। आज सुमिनंदन पंत की पुण्‍यतिथि है। उत्‍तराखंड, अल्‍मोड़ा जिले के कौसानी में जन्‍मे पंत ऐसे कवियों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन है। पद्मभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी जैसे पुरस्कारों से सम्‍मनित पंत की स्‍मृतियों को कौसानी स्थित पैतृक आवास पंत वीथिका में संजो कर रखा गया है। बता दें कि पंत के पुश्तैनी मकान में पंत वीथिका की स्थापना की गई है। यहां उनकी साहित्यिक कृतियां, वस्त्र, चश्‍मा, चिट्ठि‍यां और उनसे जुड़ीं अन्य वस्तुएं रखी गई हैं। इन पत्रों में प्रख्यात कवि हरिवंशराय बच्चन के भी कई पत्र हैं।

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नवजात अवस्‍था में ही मां का निधन हो जाने के कारण पंत को दादी ने ही पाला पोसा। नाम रखा गया गुसाईं दत्त। प्रारंभिक शिक्षा कौसानी गांव के स्कूल में हुई, फिर वह वाराणसी चले गए वहीं से हाईस्‍कूल किया। इलाहाबाद से 12वीं और उच्‍च शिक्षा ग्रहण की। पिता गंगादत्त कौसानी चाय बग़ीचे के मैनेजर थे। उनके भाई संस्कृत व अंग्रेज़ी के अच्छे जानकार थे, जो हिन्दी व कुमाँऊनी में कविताएं भी लिखा करते थे। अल्मोड़ा के नैसर्गि सौदर्य का वहां के शांत समाज ने पंत को काफी प्रभावित किया। जिसका असर उनकी रचनाओं में साफ नजर आता है।

इसलिए बदल लिए थे अपना नाम

सुमित्रानंदन पंत को अभावों वाला जीवन सताता था। सुखी व संपन्न जीवन पाने के लिए उन्‍होंने अपना नाम गोसांई दत्त पंत से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया था। इसका खुलासा उन्होंने 1974 में आकाशवाणी के बाल संघ कार्यक्रम में यश मालवीय को दिए एक साक्षात्कार में किया था। उन्‍होंने कहा था कि गोसांई में मुझे गोस्वामी तुलसीदास की झलक दिखती थी। तुलसीदास अद्भुत विद्वान थे, लेकिन उनका जीवन अभावों में बीता था। कहीं नाम में समानता के कारण मुझे भी तुलसीदास जी की तरह दिक्कतें न झेलनी पड़े, इसलिए नाम बदल लिया।

पंत ने खुद कर ली थी अपने मृत्‍यु की गणना

20 मई 1900 को उत्तराखंड के बागेश्वर जिला के कौसानी में जन्मे सुमित्रानंदन पंत पिता गंगादत्त व मां सरस्वती की आठवीं संतान थे। जन्‍म के छह घंटे बाद ही उनकी मां का निधन हो गया था। स्नातक की पढ़ाई करने के लिए प्रयागराज चले गए थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए में प्रवेश लेकर हिंदू छात्रावास में रहते थे। यहां 1919 से 21 तक रहे। यहीं 1926 में 'पल्लव नामक पुस्तक लिखकर छायावाद को स्थापित कर दिया। सरस्वती पत्रिका के सहायक संपादक रहे अनुपम परिहार के अनुसार सुमित्रानंदन पंत ज्योतिष के अच्छे जानकार थे। उन्होंने अपनी मृत्यु की गणना स्वयं कर ली थी।


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