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World Suicide Prevention Day : 2019 में उत्तराखंड में 516 लोगों ने किया सुसाइड

World Suicide Prevention Day आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। किशोर से लेकर अधेड़ आयु वर्ग के लोग भी इसमें शामिल हैं।

By Edited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 02:17 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 08:07 AM (IST)
World Suicide Prevention Day : 2019 में उत्तराखंड में 516 लोगों ने किया सुसाइड
World Suicide Prevention Day : 2019 में उत्तराखंड में 516 लोगों ने किया सुसाइड

हल्द्वानी, जेएनएन :  World Suicide Prevention Day : आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। किशोर से लेकर अधेड़ आयु वर्ग के लोग भी इसमें शामिल है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो पिछले साल प्रदेश में 516 लोगों ने पारिवारिक तनाव से लेकर अन्य वजहों से अपनी जिदंगी को खुद खत्म कर लिया। लॉकडाउन से लेकर अब तक हल्द्वानी व आसपास के क्षेत्र में करीब दस लोग सुसाइड कर चुके हैं। वहीं, मनोविज्ञानियों का कहना है कि जिंदगी में हार मानने वाले लोग अक्सर आत्महत्या को एकमात्र समाधान मान गलत कदम उठा लेेते हैं। जबकि आत्महत्या समस्या का समाधान करने की बजाय उसे और बढ़ाती है। एक गलती की वजह से पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है। लिहाजा, नकारात्मक समय में भी कई उपायों से हम खुद को सकारात्मक रख सकते हैं।

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इन उपायों से नहीं आएगी सुसाइड की स्थिति

  • व्यक्ति की टॉक थैरेपी करें। साथ ही मनोचिकित्सक से परामर्श जरूरी।
  • आत्महत्या का विचार क्षणभर के लिए आता है। नियंत्रित करने के लिए अपनों संग बात जरूर करें।
  • जिंदगी को लेकर सकारात्मक नजरिया अपनाने के साथ वास्तविकता को स्वीकारना जरूरी।
  • दूसरों पर भावनात्मक तौर पर निर्भर होने की बजाय खुद की अहमियत को समझना होगा।
  • हीन भावना से बाहर निकल खुद को किसी से कमतर न आंके।
  • जिदंगी में मिलने वाली ही चीज को संतुष्टि के साथ स्वीकार करें।
  • पारिवारिक व प्रोफेशनल लाइफ के काम को खुशी व उत्साह के साथ करने की आदत डालें।

जिदंगी खत्म कर समस्या का समाधान नहीं

नैदानिक मनोविज्ञानी डॉ. नेहा शर्मा का कहना है कि असुरक्षित महसूस करने व हड़बड़ी में लोग सुसाइड का कदम उठा देते हैं। आत्महत्या को साइक्लोजिकल डिस्आर्डर कहते हैं। जबकि हकीकत यह है कि खुद की जिदंगी खत्म कर हम किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकते। इसलिए हम हर तरह की परिस्थितियों का मुस्कुरा कर सामना करना चाहिए।

काउंसलर या चिकित्सक से सलाह लें

मनोविज्ञानी डॉ. रूपाली जोशी ने बताया कि आत्महत्या एक तरह से जलि मानवीय व्यवहार की श्रेणी में आता है। जिसमें कई तरह के फैक्टर काम करते हैं। तनावग्रस्त व्यक्ति के अकेले होने पर दिक्कत और बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में तुरंत काउंसलर या चिकित्सक के पास जाकर सलाह लेनी चाहिए। ताकि डिप्रेशन से बाहर निकला जा सके।


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