एसएसबी के पर्वतारोही दल ने फतह की भागीरथी की चोटी, सफाई अभियान में 60 किलो कूड़ा भी लेकर लौटे
एसएसबी ग्वालदम से भागीरथी द्वितीय आरोहण को निकला दल वापस लौट आया है। दल के चार सदस्यों ने भागीरथी चोटी को फतह किया। साथ ही दल ने स्वच्छता अभियान भी चलाया।
बागेश्वर, जेएनएन : एसएसबी ग्वालदम से भागीरथी द्वितीय आरोहण को निकला दल वापस लौट आया है। दल के चार सदस्यों ने भागीरथी चोटी को फतह किया। ग्वालदम पहुंचने पर टीम का भव्य स्वागत किया गया और टीम नायक ने राष्ट्रीय और एसएसबी का ध्वज उपमहानिरीक्षक को सौंपा। एवरेस्ट विजेता सुबोध कुमार चंदोला के नेतृत्व में सशस्त्र सीमा बल का 14 सदस्यीय पवर्तारोही दल 29 सितंबर को माउंट भागीरथी द्वितीय के आरोहण के लिए रवाना हुआ था। कार्यवाहक उपमहानिरीक्षक कमाडेंट महेश कुमार ने राष्ट्रीयध्वज व बल का ध्वज प्रदान कर हरी झंडी दिखाकर विदा किया था।
दल में चार महिला और दस पुरुष सदस्य शामिल देश के विभिन्न प्रांतों से शामिल थे। पवर्तारोही दल ग्वालदम से श्रीनगर, उत्तरकाशी होते हुए वाहनों से गंगोत्री पहुंचा। वहां से गंगोत्री से ट्रैङ्क्षकग करते हुए अभियान के बेस कैंप नंदनवन तीन अक्टूबर को पहुंचा। पर्वतारोही दल ने शिविर लगाया और चढ़ाई शुरू की। आधार शिविर से आगे तीन कैंप, एडवांस बेस कैंप, कैंप प्रथम और कैंप द्वितीय स्थापित कर 14 अक्टूबर की रात करीब 12 बजे माउंट भागीरथी प्रथम में अंतिम चढ़ाई शुरू की और 15 अक्टूबर को सुबह शिखर पर पहुंचकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। 21 अक्टूबर को पर्वतारोही दल ने आधार शिविर से वापसी की और 24 सितंबर को दल श्रीनगर पहुंचा और वहां भव्य स्वागत किया गया। ग्वालदम पहुंचने पर भी दल का स्वागत किया गया। राष्ट्रीय ध्वज और बल का ध्वज कार्यवाहक कमांडेंट को सौंपा गया।
ये रहे चोटी आरोहण में सफल
दल के दो महिला सदस्यों और चार पुरुष सदस्य शिखर तक पहुंचने में सफल हुए। शिखर तक पहुंचे वालों में टीम लीडर सुबोध चंदोला, विनोद नेगी, नरेंद्र ङ्क्षसह, प्रमोद ङ्क्षसह, विनीता राय, मागरिटा रोपो शामिल रहे।
60 किलो कूड़ा लेकर लौटा दल
दल के लीडर सुबोध चंदोला बताया कि कैंप प्रथम के बाद चढ़ाई काफी मुश्किल थी, जिसमें चट्टानों, बर्फ और हिम शिलाओं में रस्सियों को फिक्स किया गया। यह एक काफी चुनौती और रोमांचक यात्रा थी। साथ ही पर्वतारोही दल करीब 60 किलोग्राम कूड़ा और कचरा भी अपने साथ नीचे लगाया जिसे पूर्व में किए गए अभियानों व ट्रैकर वहां छोड़ आए थे। बताया कि पर्वतारोहण के लिए शारीरिक दृढ़ता के साथ-साथ मानसिक सुदृढ़ता की अधिक आवश्यकता होती है। आधार शिविर में पारा शून्य से नीचे माइन्स आठ डिग्री सेल्सियस चला जाता है।
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