मन महकमे का कमाल, अंडों को कृत्रिम तरीके से फर्टीलाइज कराकर अजगर के बच्चे पैदा कराए
वन्य जीव-जंतुओं के संरक्षण की दिशा में तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने सार्थक पहल करते हुए लोगों को अनूठा संदेश दिया है।
रामनगर, जेएनएन : वन्य जीव-जंतुओं के संरक्षण की दिशा में तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने सार्थक पहल करते हुए लोगों को अनूठा संदेश दिया है। यहां पश्चिमी वन प्रभाग के कर्मियों ने दो माह पूर्व बाजपुर में मिले अजगर के अंडों को कृत्रिम तरीके से फर्टीलाइज कर अजगर के बच्चे पैदा कराए। अजगर के 10 बच्चों को अब जंगल में छोड़ दिया गया है। तराई पश्चिमी वन प्रभाग की टीम को बीते 28 मई को बाजपुर के एक खेत में अजगर व उसके अंडों पर बच्चों द्वारा पत्थर फेंकने की सूचना मिली थी। इस पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुची और रेस्क्यू कर मादा अजगर व उसके 24 अंडों को बन्नाखेड़ा के जंगल में ले आई।
अंडों पर वन कर्मियों के हाथ लगने की वजह से मादा अजगर अंडों को छोड़कर वहां से अन्यत्र चली गई। ऐसे में डीएफओ हिमाशु बागरी ने अजगर के अंडों को कृत्रिम तरीके से फर्टीलाइज करने का निर्णय लिया। उन्हें रामनगर मंगवाकर पशु चिकित्सक डा. दुष्यंत शर्मा की मदद से थर्माकोल का डिब्बा तैयार कराया। उसके भीतर अजगर के अंडों को रख दिया। अंडों से बच्चे बनाने के लिए 28 से 30 डिग्री का तापमान रखा गया। आद्रता के लिए डिब्बे के भीतर पानी भी रखा गया।
वन कर्मियों की ड्यूटी अंडों उनकी देखभाल के लिए लगाई गई। अमूमन अजगर के अंडों से 55 से 60 दिन के भीतर बच्चे निकलते हैं। गुरुवार शाम को 13 में से दस अंडों से बच्चे जीवित बच्चे निकले। डीएफओ हिमांश बागरी ने बताया कि अजगर के बच्चों को एक दिन सुरक्षित रखने के बाद शुक्रवार को जंगल में छोड़ दिया गया है। अजगर के बच्चे एक दिन में ही सर्वाइव करने लग जाते है। इन प्रयासों से अजगर की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकेगी।