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आइटी कंपनी में एकाउंटेंट रहे श्याम सुंदर विपदा को बनाया अवसर, गांव में शुरू चप्पल बनाने की फैक्ट्री

बेतालघाट ब्लॉक के समीपवर्ती अमेल गांव निवासी श्याम सुंदर सिंह चंडीगढ़ में एक आइटी कंपनी में बतौर एकाउंटेंट कार्यरत थे। कोरोना संकमण से लगे लॉकडाउन में उन्होंने घर वापसी की और गांव में ही चप्‍पल बनाने की फैक्‍ट्री डाल दी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 07:34 AM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 08:44 PM (IST)
आइटी कंपनी में एकाउंटेंट रहे श्याम सुंदर विपदा को बनाया अवसर, गांव में शुरू चप्पल बनाने की फैक्ट्री
आइटी कंपनी में एकाउंटेंट रहे श्याम सुंदर विपदा को बनाया अवसर, गांव में शुरू चप्पल बनाने की फैक्ट्री

गरमपानी, संवाद सहयोगी : पहाड़ की पथरीली राहों में चलने तथा खेत में काम करने वाली महिलाओं के लिए अब गांव में ही चप्पले तैयार होने लगी है। लॉकडाउन में आई विपदा को अवसर में बदल गांव के प्रवासी युवा ने स्वरोजगार के साथ ही गांव के पांच अन्य लोगों को भी रोजगार दे दिया है।

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बेतालघाट ब्लॉक के समीपवर्ती अमेल गांव निवासी श्याम सुंदर सिंह चंडीगढ़ में एक आइटी कंपनी में बतौर एकाउंटेंट कार्यरत थे। कोरोना संकमण से लगे लॉकडाउन में उन्होंने घर वापसी की। करीब दो महीने घर पर बैठने के बाद जंगल जाने वाली महिलाओं व खेत में काम करने वाले लोगों को देख उनके मन में गांव में ही विशेष प्रकार की मजबूत चप्पल बनाने का सुझाव आया। फिर क्या था श्याम सुंदर ने शुरुआत कर डाली। वर्तमान में करीब 30 से 80 रुपये तक की चप्पल उपलब्ध है। जीरो से दस नंबर तक का साइज की चप्पले है। श्याम ने अब गांव के ही पांच अन्य युवाओं को भी रोजगार दे दिया है

आसपास के बाजारों में बनने लगी है पकड़

अमेल जैसे छोटे से गांव में चप्पल बनाने की शुरुआत करने वाले श्याम सुंदर अब बेतालघाट, अमेल के साथ ही गरमपानी, खैरना, भिकियासैंण, भतरौजखान आदि  बाजारों में चप्पलों की सप्लाई दे रहे हैं। बताते हैं कि अब पहाड़ में अन्य बाजारों में भी चप्पलों की आपूर्ति करने की योजना है। पथरीले रास्तों व खेतों में काम करने के उद्देश्य से बनाई गई मजबूत चप्पल लोगों को भी खूब भा रही है।

अहमदाबाद से पहुंच रहा कच्चा माल

शुरुआत में श्यामसुंदर चप्पल बनाने की तीन प्रकार की मशीनें रुद्रपुर से खरीद लाए। हल्द्वानी, रुद्रपुर तथा आसपास के बाजारों से चप्पल बनाने के लिए कच्चा माल भी खरीद लिया पर मनमाफिक मजबूती ना मिल सकी। पथरीले रास्तों व खेतों में काम करने के मकसद से चप्पल बनाने के लिए अब बाकायदा अहमदाबाद से कच्चे माल मंगाया जा रहा है।

और नाम रखा पैरों चप्पल

प्रवासी श्याम सुंदर ने चप्पलों का नाम भी कुमाऊनी तर्ज पर ही रख लिया। अब श्याम सुंदर की चप्पलों का ब्रांड पैरों चप्पल है। पैरों का कुमाऊनी भाषा में पहनो अर्थ होता है। पैरों चप्पल यानी कि चप्पल पहनो


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