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महज 23 वर्ष की आयु में पिथौरागढ़ की शीतल ने सबसे ऊंची चोटी एवरेस्‍ट पर फहराया तिरंगा

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सल्मोड़ा गांव की रहने वाली शीतल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर देश का झंडा फहरा चुकी हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 10:02 AM (IST)
महज 23 वर्ष की आयु में पिथौरागढ़ की शीतल ने सबसे ऊंची चोटी एवरेस्‍ट पर फहराया तिरंगा
महज 23 वर्ष की आयु में पिथौरागढ़ की शीतल ने सबसे ऊंची चोटी एवरेस्‍ट पर फहराया तिरंगा

हल्द्वानी, सतेंद्र डंडरियाल : हौसला बुलंद हो तो एक छोटी सी नाव पर बैठकर तूफान से मुकाबला करते हुए भी किनारे तक पहुंचा जा सकता है। कुछ ऐसा ही मुकाम हासिल कर पहाड़ की बेटी शीतल ने बेहद कम उम्र में महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है। मूल रूप से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सल्मोड़ा गांव की रहने वाली शीतल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर देश का झंडा फहरा चुकी हैं। उनकी सफलता की कहानी यहीं नहीं रुकती, बल्कि यहां से शुरू होती है। उन्होंने सतोपंत (7075 मीटर), त्रिशूल (7120 मीटर) और कई अन्य पर्वतों में सफलतापूर्वक आरोहण किया है। इसके अलावा दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ऊंची माउंट कंचनजंघा (8,586 मीटर) पर भी देश का झंडा फहराया है। 

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पहाड़ के बच्चों को पर्वतारोही बनने की दे रहीं ट्रेनिंग

शीतल बताती हैं कि उनका मकसद अभी विश्व की अन्य ऊंची चोटियों पर भी फतह हासिल करना है। साथ ही वह एडवेंचर टूरिज्म के इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर उन्हें सशक्त व जागरूक करने का भी काम रही हैं। शीतल ने बेसिक और एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स किया है। इसके साथ ही बच्चों को फ्री पर्वतारोहण का प्रशिक्षण दे रही हैं। उनका कहना है कि बेटियों को बराबर का दर्जा देकर हम विकसित राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं। बेटी अगर पढ़ती है तो वह अपने गांव, अपने परिवार तथा अपने ससुराल तीनों को साक्षर करती है। 

स्कूल से पहाड़ चढऩे तक मुश्किलों का सामना

मैं अपनी छोटी सी कहानी आपको बताना चाहूंगी। मुझे भी स्कूल जाने से लेकर पहाड़ चढऩे तक बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। घर से निकलने के लिए पैरेंट्स, रिश्तेदार बहुत मना करते थे, लेकिन मेरी मां ने हमेशा मेरा साथ दिया। वह कहती थीं मुझे पूरा भरोसा है अपनी बेटी पर। फैमिली का सपोर्ट होना बहुत जरूरी है। महज 23 वर्ष की आयु में 21 मई 2018 को माउंट कंचनजंघा पर देश का झंडा फहराया। इसके अगले साल 16 मई 2019 को सुबह छह बजे माउंट एवरेस्ट पर देश का झंडा फहराकर नाम रोशन किया। इसके साथ ही उत्तराखंड में सतोपंत, त्रिशूल सहित कई अन्य पर्वतों पर भी आरोहण सफलता पूर्वक पूरे किए। अब पहले जो लोग मेरे बाहर जाने में रोक-टोक करते थे, वही आज अपने बच्चों को कहते हैं कि शीतल जैसा बनो। मैं युवाओं से कहना चाहती हूं कि अपने माता-पिता को भरोसा दिलाएं कि आप अपनी लाइफ में कुछ करना चाहते हैं। मुश्किलें बहुत आएंगी, इतना आसान नहीं होता मंजिल पाना, लेकिन ध्यान रहे मेहनत करेंगे तो मंजिल जरूर मिलेगी।

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