पितृ विसर्जन अमावस्या पर 20 वर्षों बाद अद्भुत संयोग, शनिवारी अमावस्या के योग में होगी पितरों की विदाई
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष का समापन शनिवार 28 सितंबर को होगा। यह संयोग 20 साल बाद बना है जब शनिवार को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या आ रही है।
हल्द्वानी, जेएनएन : भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष का समापन शनिवार 28 सितंबर को होगा। यह संयोग 20 साल बाद बना है, जब शनिवार को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या आ रही है। अमावस्या को पंडितों ने कई खास व शुभ योगों का संयोग माना है।
शनि देव अमावस्या तिथि के प्रतिनिधि देव माने जाते हैं और इस तिथि पर उन्हीं का अधिपत्य भी है। पितृ पूजा व पितृ शांति के लिए शनि पूजा का विधान है। ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार शनिवार को अमावस्या होना शुभ माना जाता है। शनिवार व अमावस्या दोनों के अधिपति शनि देव हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन सूर्य, शुक्र, मंगल व बुध का कुंभ राशि में चतुग्रही योग बनना भी शुभ संयोग है। कुंभ राशि के स्वामी भी शनि हैं। सूर्य पिता का व बुध पुत्र का कारक ग्रह है। दोनों ग्रहों की युति भी इस दिन श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण आदि के लिए शुभकारी रहेगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. गोपाल दत्त त्रिपाठी के अनुसार पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र में रहेगा। वहीं घृति योग का संयोग भी है। रात्रि में सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत होगी। जिन लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं है, वह पितृ मोक्ष अमावस्या पर उनके निमित्त पिंडदान व तर्पण आदि कर सकते हैं।
क्रियाशाला में होगा सामूहिक तर्पण
पितृ विसर्जन अमावस्या पर मुखानी स्थित क्रियाशाला सेवा समिति की ओर से सामूहिक तर्पण का आयोजन किया जाएगा। सचिव बिशन सिंह नैनवाल ने बताया कि तर्पण में हिस्सा लेने वाले लोग सुबह नौ बजे स्थल पहुंचे। जौ, तिल, कुशा, चंदन आदि की व्यवस्था समिति करेगी। पितृ विसर्जन के बाद भंडारे का आयोजन होगा।