गैर इरादतन हत्या के मामले में पांच दोषियों को सात साल की सजा
एडीजे कोर्ट द्वितीय ने गैर इरादतन हत्या के पांच अभियुक्तों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। आरोपितों पर 14 हजार रुपये जुर्माना भी लगा है। मामला वर्ष 2018 में एमबीपीजी कालेज के निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष व पूर्व अध्यक्ष समेत तीन लोगों पर हमले का है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : एडीजे कोर्ट द्वितीय ने गैर इरादतन हत्या के पांच अभियुक्तों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। आरोपितों पर 14 हजार रुपये जुर्माना भी लगा है। मामला वर्ष 2018 में एमबीपीजी कालेज के निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष व पूर्व अध्यक्ष समेत तीन लोगों पर हमले का है।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता गिरिजा शंकर ने बताया कि एक मार्च 2018 को एमबीपीजी कालेज के निर्वतमान छात्रसंघ अध्यक्ष राहुल धामी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष जगदीश बिष्ट व मनिंदर सिंह डिग्री कालेज के पास पंजाबी रसोई में खाना खाने गए थे। वहां पांच युवकों ने गालीगलौज कर अभद्रता शुरू कर दी थी। इसके बाद मारपीट कर जानलेवा हमला किया गया। दो मार्च को जगदीश बिष्ट ने आरोपितों के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी थी। मामला एडीजे कोर्ट द्वितीय में चला।
एडीजे द्वितीय नसीम अहमद ने मामले की सुनवाई करते हुए पांचों आरोपित मनीष तिवारी उर्फ मोनू पंडित निवासी दमुवाढूंगा, सुमित बिष्ट, अरुण सागर, प्रदीप सागर, त्रिलोक सिंह नेगी निवासी वैलेजली कंपाउंड को गैर इरादतन हत्या के मामले में सात-सात साल की सजा सुनाई। अन्य धाराओं में भी सजा सुनाई गई है। अभियोजन पक्ष की ओर से सात गवाह पेश किए गए।
इन धाराओं में हुई यह सजा
धारा 504 में दो-दो साल की सजा, एक-एक हजार रुपये जुर्माना।
धारा 308 में सात-सात साल की सजा, पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना।
धारा 147 में दो-दो साल का सश्रम कारावास, एक-एक हजार रुपये जुर्माना।
धारा 148 में तीन-तीन साल का सश्रम कारावास, एक-एक हजार रुपये जुर्माना।
धारा 323 में एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास, एक-एक हजार रुपये जुर्माना।
धारा 325 में सात-सात वर्ष का सश्रम कारावास, पांच-पांच हजार जुर्माना।