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तस्वीरों में देखिए कुमाऊंभर में कैसे मनाई गई मकर संक्राति

देशभर में मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। इसें उत्तराखंड के कुमाऊं में घुघुतिया त्यार नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ दान व पुण्य का महत्व तो है। कुमाऊं में मीठे आटे से पकवान बनाने का भी चलन है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 07:27 PM (IST)
तस्वीरों में देखिए कुमाऊंभर में कैसे मनाई गई मकर संक्राति
मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ दान व पुण्य का महत्व है।

टीम जागरण हल्द्वानी : भगवान भाष्कर के मकर में प्रवेश करने पर देशभर में मकर संक्रांति पर्व मनाई जाती है। इसे उत्तराखंड के कुमाऊं में घुघुतिया त्यार नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ दान व पुण्य का महत्व तो है। कुमाऊं में मीठे पानी में से गूंथे आटे से विशेष पकवान बनाने का भी चलन है। बागेश्वर से चम्पावत व पिथौरागढ़ जिले की सीमा पर स्थित घाट से होकर बहने वाली सरयू नदी के पार (पिथौरागढ़ व बागेश्वर निवासी) वाले महीने के अंत तक इसे मनाते हैं। आइए तस्वीरों में देखते हैं कुमाऊं भर में मनाए गए त्योहार की झलक...

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 हल्द्वानी के रानीबाग चित्रशाला घाट में गार्गी नदी के तट पर यज्ञोपवीत संस्कार कराने पहुंचे बटुकों ने आगामी विधानसभा चुनाव में अनिवार्य रूप से मतदान करने का संदेश दिया। 

कुमाऊंभर में मीठे आटे की घुघुत तलकर माला बनाई जाती है, जिसे कौए को खिलाने की परंपरा है। बच्चों के लिए यह विशेष आकर्षण का पल होता है।

मकर संक्राति में नदी में स्नान का बड़ा महत्व होता है। बागेश्वर की पवित्र सरयू में श्रद्धालुओं ने भोर से ही डुबकी लगानी शुरू कर दी।

मकर संक्राति के दिन स्नान के बाद पूजन व दान का विशेष महत्व है। बागेश्वर में सरयू स्नान के बाद लोगों ने भगवान बागनाथ को जलाभिषेक किया।

चम्पावत के पंचेश्वर घाट में मकर संक्रांति पर्व पर स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा अर्चना करते श्रद्धालु

चम्पावत के पंचेश्वर घाट का विहंगम दृश्य, श्रद्धालु स्नान के बाद मंदिर में पूजन अर्चन को जाते।

मकर संक्राति एक शुभ मुहूर्त का पर्व है। इस दिन लोग नए काम व संस्कारों की शुरुआत करते हैं। चित्रशिला घाट पर किशोरों यज्ञोपवित संस्कार करते पंडित।

बागेश्वर में कोरोना को देखते हुए मेले पर प्रतिबंध था। पर कोविड नियमों का पालन करते हुए व्यापारी जुटे। उत्तरायणी मेले में कुत्तों की बिक्री आकर्षण का केंद्र होती है। यहां पर पांच हजार से बीस हजार रुपये तक के तक कुत्ते बेचे जाते हैं। एक व्यापारी कुत्ते के बच्चे की विशेषता बताकर ग्राहक को आकर्षित करने की तस्वीर।


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