अप्रैल माह के हिमपात से बने गुंजी, नपलच्यु के पास बना सीजनल ग्लेशियर
प्रैल तीसरे सप्ताह के हिमपात से उच्च हिमालय में सीजनल ग्लेशियर बन चुके हैं। ताजा हिमपात के बाद कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग एवं भारत-चीन व्यापार की व्यापारिक मंडी गुंजी और निकट के नपलच्यु के पास ताजा ग्लेशियर बना है।
संवाद सूत्र, धारचूला : इस बार शीतकाल में कम बर्फबारी से उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सीजनल ग्लेशियर कम बने थे। वहीं अप्रैल तीसरे सप्ताह के हिमपात से उच्च हिमालय में सीजनल ग्लेशियर बन चुके हैं। ताजा हिमपात के बाद कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग एवं भारत-चीन व्यापार की व्यापारिक मंडी गुंजी और निकट के नपलच्यु के पास ताजा ग्लेशियर बना है।
गुंजी, नपलच्यु कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में पड़ते हैं। दोनों गांव कुटी यांगती के एक दूसरी तरफ हैं। इस बार शीतकाल में यहां पर कम बर्फबारी से ग्लेशियर कम बने थे। इस क्षेत्र में सीजनल ग्लेशियर बनते हैं। जो ग्रीष्मकाल में गर्मी बढ़ते ही पिघलने लगते हैं । फलस्वरू प हिमनदों से निकलने वाली नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है।
बीते एक सप्ताह से उच्च हिमालय में आए दिन हिमपात हो रहा था। बीते दो दिनों के बीच भारी हिमपात हुआ। भारी हिमपात से गुंजी नपलच्यु में बने सीजनल ग्लेशियर की बर्फ गर्बाधार लिपुलेख मार्ग तक पहुंची है। गुंजी गांव , मनीला मैदान सभी बर्फ से आच्छादित हैं। गुंजी से आगे कालापानी, नावीढांग, लिपुलेख और कुटी तक भारी हिमपात हुआ है।
कुटी मार्ग में कई स्थानों पर ग्लेशियर आ चुके हैं। कुटी नदी ग्लेशियरों से ढक चुकी है। इसी मार्ग से गुंजी, नपलच्यु, नाबी, रोककोंग और कुटी के ग्रामीणों को माइग्रेशन करना है। उधर मुनस्यारी से मिली जानकारी के अनुसार मुनस्यारी मिलम मार्ग में बोगडियार से आगे भी मार्ग बर्फ से ढक चुका है। जिसके चलते आवाजाही बंद है। मिलम में तीन फीट से अधिक बर्फ जमी है।
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