भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के वैज्ञानिक ने पहाड़ में नौकरी के लिए किया आवेदन
पर्वतीय क्षेत्रों की विषम भौगोलिक स्थिति में मैदान के लोग पहाड़ में अपनी सेवाएं देने में कतराते हैं लेकिन यूपी के आजमगढ़ निवासी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली (पूसा ) के प्रमुख सब्जी वैज्ञानिक डाॅ. एके सिंह ने पहाड़ में नौकरी के लिए आवेदन किया है।
चम्पावत, जेएनएन : पर्वतीय क्षेत्रों की विषम भौगोलिक स्थिति में मैदान के लोग पहाड़ में अपनी सेवाएं देने में कतराते हैं, लेकिन यूपी के आजमगढ़ निवासी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली (पूसा ) के प्रमुख सब्जी वैज्ञानिक डाॅ. एके सिंह ने पहाड़ में नौकरी करने का आवेदन कर पहाड़ के प्रति अपना प्यार दर्शाया है। उनका यह इरादा उन लोगों को आइना दिखाने के लिए काफी है, जो पहाड़ में नौकरी करने से बचने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाते हैं।
वर्ष 2004 से 2010 तक कृषि विज्ञान केन्द्र लोहाघाट में सब्जी वैज्ञानिक के रूप में कार्य करते हुए डा. सिंह ने जिले में सब्जियों की संरक्षित खेती को नई पहचान दी। उनके प्रयासों से ही पहली बार जिले में पॉलिहाउस, पॉलिटनल, मल्चिंग एवं टपक सिचाई पद्धति शुरू हो सकी। वर्ष 2010 में डा. एके सिंह का प्रमोशन पूसा के लिए हो गया। दस साल पूसा संस्थान में अपनी सेवा देने के बाद एक बार फिर उन्होंने पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र सुईं (लोहाघाट)में आकर सेवा देने की इच्छा जताई है। उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को इसका आवेदन भी दे दिया है।
पूसा संस्थान में कार्य करने के बाद भी डा. सिंह आईसीआर द्वारा संचालित एनएआईपी-2 योजना के जरिए यहां के किसानों से लगातार जुड़े रहे। डा. सिंह का कहना है कि चम्पावत जिले के किसानों के उत्साह एवं उनकी वैज्ञानिक सोच को देखते हुए वे यहां कुछ और नया करने की इच्छा रखते हैं। जिले के प्रगतिशील काश्तकार तारा दत्त खर्कवाल, रमेश चंद्र खर्कवाल, उर्बादत्त चौबे, रमेश चौबे, नवीन उपाध्याय, हरीश चौबे, रघुवद दत्त मुरारी आदि का कहना है कि डा. एकेसिंह की कार्यप्रणाली उन्होंने देखी है। वे यहां आते हैं तो सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के जो प्रयास किए जा रहें हैं उसमें शत प्रतिशत सफलता मिल सकती है।
पूसा के प्रधान सब्जी वैज्ञानिक डा. एके सिंह ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीके से सब्जी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। यहां के काश्तकारों में काम करने का जज्बा है। पूसा में रहते हुए मैं पहाड़ के काश्तकारों से मिले अनुभव को साथी वैज्ञानिकों के साथ शेयर करता हूं। मैंने पूसा के अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर एक बार फिर कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट भेजने की मांग की है। मौका मिलेगा तो मैं जरूर यहां सब्जी उत्पादन को नई दिशा देने का प्रयास करूंगा।
कृषिमंत्री के रूप में मुख्यमंत्री ने थपथपाई थी डा. सिंह की पीठ
राज्य के कृषि मंत्री रहे वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्ष 2009 में कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट पहुंचकर डा. एके सिंह के कार्यों की सराहना की थी। उन्होंने डा. सिंह अपनाई जा रही बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन की तकनीकी को अन्य जिलों में भी लागू करवाने का आश्वासन दिया था।