स्टूडेंट्स का डाटाबेस ऑनलाइन करने में स्कूल साबित हो रहे फिसड्डी
सुनियोजित नियोजन व फर्जी दाखिलों पर रोक लगाने की मंशा से विकसित यू-डायस पर स्कूल ध्यान नहीं दे रहे हैं। शिक्षा विभाग दो साल बाद भी शत-प्रतिशत बच्चों का डाटा पोर्टल पर दर्ज नहीं करा पाए हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : सुनियोजित नियोजन व फर्जी दाखिलों पर रोक लगाने की मंशा से विकसित की गई यूनिफाइड शैक्षिक सूचना प्रबंध प्रणाली (यू-डायस) पर स्कूल ध्यान नहीं दे रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी दो साल बाद भी शत-प्रतिशत बच्चों का डाटा पोर्टल पर दर्ज नहीं करा पाए हैं। कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर जिले की प्रगति सबसे अधिक चिंताजनक है। नैनीताल, बागेश्वर जिले में भी 87 फीसद से कम बच्चों का डाटाबेस तैयार हो पाया है। पिथौरागढ़, अल्मोड़ा व चम्पावत जिले में 90 फीसद से अधिक प्रगति है। वहीं, कुमाऊं के 10,288 स्कूलों में 753 स्कूलों के नाम अभी तक पोर्टल में दर्ज तक नहीं हुए हैं। उत्तराखंड सभी के लिए शिक्षा परिषद की राज्य परियोजना निदेशक ज्योति यादव ने सभी सीईओ को पत्र भेजकर 10 फरवरी तक शत-प्रतिशत छात्रों का ब्योरा ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं।
कुमाऊं के जिलों की स्थिति (प्रतिशत में)
जिला छात्र संख्या प्रगति
अल्मोड़ा 127715 92.1
बागेश्वर 56798 87.6
नैनीताल 225120 80.1
चम्पावत 61549 94.9
पिथौरागढ़ 103488 91.3
ऊधमसिंह नगर 432506 72.6
ये है नैनीताल जिले के ब्लॉक की स्थिति : डाटा अपडेट करने के मामले में नैनीताल जिले का कोटाबाग ब्लॉक 91.7 प्रतिशत प्रगति के साथ सबसे आगे है। इसके बाद ओखलकांडा 88.6 फीसद, रामनगर 88.1, रामगढ़ 87.1, धारी 86.8, बेतालघाट 81.7, हल्द्वानी 77.2 फीसद प्रगति है। भीमताल में सबसे कम 69.8 प्रतिशत छात्रों का डाटा ऑनलाइन हुआ है।
ये है डाटाबेस तैयार करने की परिकल्पना : मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कक्षा एक से 12वीं तक के स्टूडेंट्स का डाटाबेस तैयार करने के लिए 2016 में यूनिफाइड शैक्षिक सूचना प्रबंधन प्रणाली (यू-डायस) की शुरुआत की थी। छात्र डाटाबेस प्रबंधन सूचना प्रणाली (एसडीएमआइएस) से सरकारी व निजी स्कूलों में पढऩे वाले प्रत्येक छात्र की शैक्षणिक यात्रा का रिकॉर्ड रखा जाना है। वित्तीय वर्ष की कार्ययोजना व स्टूडेंट्स से संबंधी सभी लाभ पोर्टल पर अपलोड छात्र विवरण के आधार पर अनुमोदित करने की परिकल्पना की गई है। राज्य परियोजना निदेशक ज्योति यादव ने बताया कि प्रत्येक छात्र का ब्योरा ऑनलाइन होना है। अगर निजी स्कूल इस काम में सहयोग नहीं करते हैं तो इसे राजकीय कार्यों में बाधा मानते हुए कार्रवाई की जाएगी।
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