राष्ट्रीय परिवार लाभ कल्याण योजना में 57 लाख का घोटाला, नपेंगे देहरादून-नैनीताल के जिला समाज कल्याण अधिकारी
राष्ट्रीय परिवार लाभ कल्याण योजना में पकड़े गए 57 लाख के घोटाले की जड़ें काफी लंबी हैं। इसमें केवल नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी ही नहीं बल्कि ग्राम प्रधान वीडीओ एडीओ जैसे अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : राष्ट्रीय परिवार लाभ कल्याण योजना में पकड़े गए 57 लाख के घोटाले की जड़ें काफी लंबी हैं। इसमें केवल नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी ही नहीं, बल्कि ग्राम प्रधान, वीडीओ, एडीओ जैसे अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं। ग्राम सभा स्तर से जिला मुख्यालय स्तर तक आवेदनों पर अफसर सिर्फ हस्ताक्षर कर आगे बढ़ाते रहे। जबकि किसी ने भी आवेदनों में यह नहीं जांचा कि बीपीएल प्रमाणपत्र लगा है या नहीं।
मामले में समाज कल्याण निदेशालय का कहना है कि भारत सरकार की योजनाओं में इस तरह की लापरवाही गंभीर मामला है। योजनाओं का क्रियान्वयन और आवेदनों की जांच के लिए पूरी तरह से जिला समाज कल्याण अधिकारी ही जिम्मेदार होते हैं। यदि आवेदन स्वीकृत करने से पहले दस्तावेज जांच लिए गए होते तो अपात्रों को सरकारी रकम की रेवड़ी नहीं बांटी जाती। ऐसी लापरवाही पर समाज कल्याण अधिकारियों पर बर्खास्तगी, रिकवरी जैसी कार्रवाई होनी तय है।
सहायक समाज कल्याण अधिकारी केआर जोशी ने बताया कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में लापरवाही का यह गंभीर मामला है। आवेदनों को स्वीकृत करने से पहले जिला समाज कल्याण अधिकारी की जिम्मेदारी बनती है कि वे सभी दस्तावेजों की जांच करें। योजना में इस तरह की वित्तीय गड़बड़ी पर जिला समाज कल्याण अधिकारियों पर कार्रवाई होनी तय है।
क्या है मामला
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान सत्र 2020 तक की जांच रिपोर्ट पेश की। जिसमें नैनीताल और देहरादून जिले में केंद्र पोषित राष्ट्रीय परिवार लाभ कल्याण योजना में गड़बड़ी पाई गई। कैग की रिपोर्ट के अनुसार दोनों जिलों में 286 अपात्रों को योजना के तहत 57.20 लाख रुपये बांट दिए गए। जबकि इस रकम का लाभ केवल बीपीएल श्रेणी के परिवारों को ही मिलता है।
जनवरी-अगस्त 2018 के रिकॉर्ड में गड़बड़ी
कैग ने योजना के परीक्षण के लिए देहरादून और नैनीताल के समाज कल्याण कार्यालयों के अभिलेखों का परीक्षण किया गया। दोनों जिलों में जनवरी और अगस्त 2018 के रिकॉर्ड में पाया गया कि 498 लाभार्थियों को योजना के तहत 95.60 लाख रुपये बांटे गए। इनमें से 286 लाभार्थी गैर बीपीएल श्रेणी के थे।
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