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उधर दून में मुलाकात, इधर नैनीताल का चढ़ा पारा, सरिता आर्य की चेतावनी को माना जा रहा सियासी दबाव

आर्य की देहरादून में भाजपा नेताओं से गुपचुप मुलाकात ने जबरदस्त ठंड के बीच नैनीताल का सियासी पारा हाई कर दिया है। एक तरफ सरिता की दावेदारी को हक तो दूसरी ओर इसे सियासी दबाव की नजर से भी देखा जा रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 09:10 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 09:10 PM (IST)
उधर दून में मुलाकात, इधर नैनीताल का चढ़ा पारा, सरिता आर्य की चेतावनी को माना जा रहा सियासी दबाव
संजीव ने वापसी के बाद कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में किया है, उससे सरिता की राह मुश्किल लग रही

किशोर जोशी, नैनीताल। पूर्व विधायक व महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य की देहरादून में भाजपा नेताओं से गुपचुप मुलाकात ने जबरदस्त ठंड के बीच नैनीताल का सियासी पारा हाई कर दिया है। एक तरफ सरिता की दावेदारी को हक तो दूसरी ओर इसे सियासी दबाव की नजर से भी देखा जा रहा है। इधर, नैनीताल में कांग्रेसी खेमा फिलहाल चुप्पी साधे है तो भाजपा महिला मोर्चा ने सरिता का विरोध भी शुरू कर दिया है।

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राज्य बनने के बाद नैनीताल की पहली पालिकाध्यक्ष बनी सरिता आर्य सरल व सादगीपूर्ण व्यवहार के लिए जानी जाती हैं। 2012 में वह नैनीताल की विधायक बन गईं। तब तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य नैनीताल आरक्षित सीट से अपने पुत्र व तत्कालीन मंडी समिति हल्द्वानी के अध्यक्ष संजीव आर्य को टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन तब यशपाल के पार्टी में विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सरिता को टिकट दिलाने में कामयाब रहे और वह जीत भी गईं। 2017 में हरदा से निकटता की वजह से सरिता को फिर टिकट मिला तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए संजीव आर्य को नैनीताल से टिकट भी मिल गया। मोदी लहर के बीच अपने सरल व्यवहार के चलते भी संजीव ने मैदान मार लिया और सरिता हार गईं।

अब पूर्व मंत्री यशपाल आर्य व निवर्तमान विधायक संजीव आर्य कांग्रेस में फिर वापसी कर चुके हैं। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में नैनीताल से संजीव का टिकट तय माना जा रहा है। यही नहीं इस बार हरदा-यशपाल की नजदीकी का असर सरिता से दूरी के रूप में भी पडऩा शुरू से ही तय कहा जा रहा था। पार्टी सूत्रों के अनुसार सरिता को महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका निभा चुकी असम की कांगे्रस नेत्री सुष्मिता देव भी अब तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुकी हैं। वहीं संजीव ने वापसी के बाद जिस तरह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में किया है, उससे भी सरिता की राह मुश्किल लग रही है। 

पार्टी में स्वागत मगर टिकट का होगा विरोध

पूर्व विधायक सरिता आर्य की भाजपा में शामिल होने की चर्चा पर सियासी प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। शनिवार को हुई बैठक में भाजपा महिला मोर्चा की नगर अध्यक्ष दीपिका बिनवाल ने कहा कि संगठन दूसरे दलों से आने वाले किसी भी महिला या पुरुष कार्यकर्ता का स्वागत करता है। मगर बाहरी लोगों को टिकट दिया गया तो इसका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टिकट संगठन के मूल कार्यकर्ता को ही मिलना चाहिए। कांग्रेस से आए व्यक्ति (संजीव आर्य) को टिकट देने का खामियाजा संगठन भुगत चुका है। बैठक में पूर्व प्रदेश मंत्री रीना मेहरा, सभासद प्रेमा अधिकारी, पूर्व जिलाध्यक्ष जीवंती भट्ट, सोनू साह आदि मौजूद रहीं। 


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