काशीपुर डिपो के रामनगर में मर्ज होने की चली अफवाह, सोशल मीडिया पर पत्र वायरल
परिवहन विभाग के आला अधिकारियों के अनुसार ऐसा कोई आदेश उनके पास नहीं आया। पत्र का हवाला देकर कांग्रेस का प्रदर्शन हुआ तो बीजेपी के नेताओं ने डिपो शिफ्ट करने का फैसला वापसी पर अपनी पीठ भी थपथपा ली।
जागरण संवाददाता, काशीपुर : पिछले 24 घंटे में रोडवेज डिपो का रामनगर डिपो में विलय करने की सुगबुगाहट पर इंटरनेट मीडिया में जारी एक पत्र का हवाला देकर जमकर राजनीति हुई। इधर, परिवहन विभाग के आला अधिकारियों के अनुसार ऐसा कोई आदेश उनके पास नहीं आया। पत्र का हवाला देकर कांग्रेस का प्रदर्शन हुआ तो बीजेपी के नेताओं ने डिपो शिफ्ट करने का फैसला वापसी पर अपनी पीठ भी थपथपा ली। 16 जून 1982 में काशीपुर डिपो अस्तित्व में आया था। उस समय तत्कालीन केन्द्रीय उद्योग एवं इस्पात मंत्री नरायण दत्त तिवारी ने इसका उद्धाटन किया।
मामले में बुधवार देर शाम तक मामले में विरोध करने और श्रेय लेने की होड़ मची रही। जानकारों की मानें तो यह महज एक प्रस्ताव की कॉपी है। इससे सरकार या परिवहन विभाग का कोई लेना-देना नहीं है। डिपो रामनगर में मर्ज किए जाने की बात उठाने वाली कांग्रेस सरकार का आदेश का हवाला देती रही वहीं बीजेपी के नेता बुधवार को इस आदेश के स्थगित होने का पोस्ट करती रही और जनता को गुमराह किया जाता रहा।
कुछ ने लिखा सीएम से बात हुई वापस हो गया फैसला
बीजेपी के कुछ ऐसे नेता भी रहे जो डिपो के रामनगर डिपो में मर्ज होने के इस विवाद पर पड़ताल करना भी उचित नहीं समझा। इनमें से कुछ इंटरनेट मीडिया के तगड़े नेताओं ने यह तक लिख दिया कि सीएम साहब से बात हुई है और आदेश वापस कर लिया गया है। आलम यह था कि ऐसे लोगों को बधाई देने का तांता लग गया। वहीं, कांग्रेस इस बात को लेकर अपने विरोध का असर बताकर अपनी जीत बताती रही।
आरएम काठगोदाम यशपाल सिंह ने बताया कि काशीपुर डिपो के रामनगर डिपो में मर्ज होने संबंधी कोई आदेश की कॉपी नहीं मिली है। इस पत्र से परिवहन विभाग का कोई लेना-देना नही है।