ग्राउंड रिपोर्ट: पहाड़ की लाइफलाइन के किनारे ढाबे बंद, कोरोना ने बदली जीवनशैली, खाना साथ लेकर चल रहे ट्रक चालक
दूसरे राज्यों से लौटे दो लाख से अधिक प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की है मगर जमीनी हकीकत यह है कि कोरोना महामारी के कारण राज्य के भीतर कई छोटे रोजगार चौपट हो गए हैं।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : दूसरे राज्यों से लौटे दो लाख से अधिक प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की है, मगर जमीनी हकीकत यह है कि कोरोना महामारी के कारण राज्य के भीतर कई छोटे रोजगार चौपट हो गए हैं। कुमाऊं के पर्वतीय जिलों को हल्द्वानी से जोड़ने वाली सड़कें इसकी बानगी पेश कर रही हैं। सड़क किनारे के ढाबे उजाड़ हो चुके हैं। हालात ने यात्रियों की आदतों में भी बदलाव ला दिया है। काठगोदाम-अल्मोड़ा हाईवे के किनारे अधिकाश रेस्टोरेंट अब भी बंद हैं। हालांकि मिठाई की दुकानें खुली हैं। लोधिया के मिठाई व्यवसायी रवि नेगी कहते हैं कि पहले जैसी रौनक लौटने में समय लगेगा। अल्मोड़ा के चितई गोलू मंदिर के पास के दुकानदार जो बाहरी पर्यटकों पर निर्भर हैं, उनके चेहरों पर भी उदासी है। पेटशाल में सड़क किनारे पानी के नौले के पास बने अस्थायी ढाबे पिरूल से ढक गए हैं। टिनशेड में चलने वाले कुमाऊंनी ढाबे के बोर्ड पर झोली-भात, राजमा-चावल, पहाड़ी छोले लिखा जरूर है, लेकिन यहा खाने-खिलाने वाला कोई नहीं है।
डोल आश्रम के पास बना अस्थायी ढाबा भी अतीत के सुनहरे दिनों के लौटने के इंतजार में है। यहा घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए चाय, कॉफी, बन-मक्खन, छोले-पराठे आदि का ठिया (अड्डा) बने ये ढाबे कई परिवारों को आजीविका देते थे। अब इन पर निर्भर परिवारों के सामने आर्थिक संकट है। ट्रक चालकों के सामने सेफ्टी के साथ मजबूरी भी दूसरी ओर ट्रासपोर्ट वाहनों के जरिये हल्द्वानी से पहाड़ के लिए सामान पहुंचाने वाले ट्रक चालक-परिचालक खाना साथ लेकर चल रहे हैं। सेफ्टी के साथ यह मजबूरी भी बन गई है।
अमृतपुर के प्रसिद्ध भुट्टे की बिक्री भी घटी
काठगोदाम भीमताल और काठगोदाम-नैनीताल हाइवे किनारे अमृतपुर का सफेद भुट्टा बरसात में खूब बिकता हैै। इस बार भुट्टा खाने के लिए दोपहिया वाहनों से लोकल के लोग तो पहुंच रहे, लेकिन पर्यटकों की आवाजाही बंद होने से काम पर असर साफ दिखता है। दीपक बताते हैं, भुट्टे की करीब 60 फीसद बिक्री बाहरी पर्यटकों पर निर्भर रहती है, लेकिन इस बार सन्नाटा ही है।
जागेश्वर धाम के पास कॉटेजों पर लटके ताले
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से 32 किमी की दूरी पर स्थित विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम के दर्शनों के हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर के आसपास के कॉटेज पर ताले पड़े हैं। आरतोला में कॉटेज में काम करने वाला नागेश तीन माह से घर बैठा है। युवाओं की टोली सुबह दौड़ने निकलती है और शाम को क्रिकेट खेला जा रहा है।
पहाड़ी फलों को नहीं मिल रहे खरीदार
पिथौरागढ़ से आने वालों को सुवाखान से शहरफाटक, पहाड़पानी होते हुए भीमताल से जोड़ने वाली सड़क किनारे धानाचूली से मोतियापाथर के बीच ग्रामीण आलू, आड़ू, खुमानी आदि बेच रहे हैं, मगर खरीदार मुश्किल से मिल रहे हैं। कास्तकार दीवान सिंह बताते हैं कि इस बार लोगों का आना-जाना कम हैं। इससे बिक्री पर असर पड़ा है।
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