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पिथौरागढ़ के इस दुर्गम गांव में वोट मांगने कैसे जाएंगे प्रत्‍याशी जब पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं

अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र में पिथौरागढ़ जिले की धारचूला विस क्षेत्र में पडऩे वाले नामिक गांव तक प्रत्याशी का पहुंचना तो दूर प्रचार पार्टियों के पहुंचने को लेकर भी संशय बना है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 05:51 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 05:51 PM (IST)
पिथौरागढ़ के इस दुर्गम गांव में वोट मांगने कैसे जाएंगे प्रत्‍याशी जब पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं
पिथौरागढ़ के इस दुर्गम गांव में वोट मांगने कैसे जाएंगे प्रत्‍याशी जब पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं

पिथौरागढ़, जेएनएन : अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र में पिथौरागढ़ जिले की धारचूला विस क्षेत्र में पडऩे वाले नामिक गांव तक प्रत्याशी का पहुंचना तो दूर प्रचार पार्टियों के पहुंचने को लेकर भी संशय बना है। बागेश्वर जिले के गोगिना से प्रचार दल भले ही पहुंच जाए, परंतु अपने जिले से प्रचार दलों का पहुंचना आज के दिन संभव नहीं लग रहा है।

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नामिक गांव पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले की सीमा पर हीरामणि ग्लेशियर के निकट स्थित 27 सौ मीटर से अधिक की ऊंचाई पर बसा गांव है। यह गांव अभी तक सड़क से वंचित है। इस समय गांव को जाने वाला मार्ग बर्फ से आच्छादित है तो गांव में भी बर्फ है। अपने जिले में गांव की सड़क से दूरी 27 किमी है। गांव तक पहुंचने से लिए नौ हजार फीट से अधिक की  ऊंचाई वाले रास्ते को पार करना पड़ता है। मानसून काल में पुल और पुलिया बह जाती हैं तो शीतकाल में बर्फ मार्ग रोक देता है। इस बार तो रिकार्ड हिमपात होने से यह गांव विगत डेढ़, दो माह से अलग-थलग पड़ा है। मतदान तक भी मार्ग चलने योग्य हो जाए तो गनीमत है।

130 परिवार रहते हैं गांव में

नामिक गांव में 130 परिवार रहते हैं। गांव में प्राथमिक विद्यालय से लेकर राजकीय हाईस्कूल है। गांव में बिजली की समस्या है। गांव को बिजली उपलब्ध कराने वाली माइक्रोहाइडिल योजना की क्षतिग्रस्त टनल को गांव की महिलाओं ने बीते वर्ष खुद श्रमदान ने ठीक किया।

165 किमी पदयात्रा चेतावनी भी बेअसर

नामिक गांव के ग्रामीणों ने बीते दो  वर्ष पूर्व गांव तक सड़क की मांग को लेकर गांव से पिथौरागढ़ तक पांच पडावों से होते हुए 165 किमी की लंबी पदयात्रा की चेतावनी दी थी। इस धमकी के बाद प्रशासन हरकत में आया। सड़क की घोषणा भी कागजों तक रही। सड़क को लेकर आज भी ग्रामीण आक्रोशित हैं। संचार से आज भी गांव वंचित है। ग्राम प्रधान तुलसी देवी का कहना है कि गांव की हमेशा उपेक्षा की जाती है।

जैविक आलू और राजमा उत्पादक है गांव

भले ही व्यवस्था ने इस गांव को नकारा हो परंतु नामिक गांव के जैविक आलू और राजमा की धमक बहुत दूर तक है। यहां के आलू और राजमा की मांग हल्द्वानी तक रहती है। यदि जिले के गांवों से पलायन के औसत पर देखा जाए तो सुविधाविहीन इस गांव में पलायन की दर सबसे कम है। गांव से नाममात्र का पलायन हुआ है।

जिला पिथौरागढ़ का, रास्ता बागेश्वर से

नामिक गांव पिथौरागढ़ जिले का गांव है। जिले से गांव की पैदल दूरी 27 किमी होने से प्रशासनिक अमला हो या सरकारी मुलाजिम सभी गांव तक वाया बागेश्वर के कपकोट गोगिना होकर जाते हैं। बागेश्वर जिले के कपकोट के गोगिना तक सड़क है। जहां से गांव की दूरी आठ किमी है। इस बार भी जिले से मतदान पार्टियों इसी रास्ते नामिक तक जाएंगी।

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