सरकारें आई और गईं, लेकिन नैनीताल से सिर्फ पांच किमी दूर गैरीखेतवासियों के लिए नहीं बनी सड़क
प्रदेश बनने के 21 वर्ष गुजर जाने के बाद भी शहर से महज पांच किमी की दूरी पर स्थित गैरीखेत निवासी बेहद पिछड़े हैं। आजादी के बाद से कई सरकारे आई और गई मगर ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या जस की तस खड़ी है।
नरेश कुमार, नैनीताल : प्रदेश बनने के 21 वर्ष गुजर जाने के बाद भी शहर से महज पांच किमी की दूरी पर स्थित गैरीखेत निवासी बेहद पिछड़े हैं। आजादी के बाद से कई सरकारे आई और गई, मगर ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या जस की तस खड़ी है। गांव तक सड़क मार्ग पहुंचना ग्रामीणों का महज सपना रह गया है। अब चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर गांव पहुंचने वाले जन प्रतिनिधियों की जुबान पर सड़क का मुद्दा जोर शोर से उठेगा। मगर ग्रामीणों का कहना है कि वह इतनी सरकारे देख चुके है। आज तक नेताओं ने सिर्फ गांव को सड़क से जोडऩे के वादे किये है। यहां नेता सिर्फ वोट मांगने पहुंचते है। जिसके बाद पांच साल कोई सुध लेने तक नहीं आता।
गैरीखेत ग्राम सभा जिला मुख्यालय से महज पांच किमी की दूरी पर स्थित है। जहां करीब 45 परिवार निवास करते है। सड़क मार्ग नहीं होने के कारण शुरूआत से ही ग्रामीण इसकी मांग करते आए है। सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। गर्भवती महिलाए हो या बुजुर्ग सभी पैदल ही सफर करते है। किसी बीमार को भी यहां से डोली में लाया जाता है। प्रदेश बनने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकारों ने दस-दस वर्ष तक राज किया। मगर ग्रामीणों की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। ग्रामीण पंकज कुमार ने बताया कि रात को किसी की तबियत बिगड़ जाए तो बड़ी परेशानी होती है। सड़क नहीं होने के कारण 10-15 परिवार गांव से पलायन कर चुके है। ग्रामीण अजय कुमार कहते है कि बचपन से सड़क की समस्या देख रहे है अब जवानी भी गुजरने को है। कई बार प्रतिनिधियों और शासन प्रशासन तक पत्राचार कर सड़क की मांग कर चुके है। मगर आज तक गांव तक सड़क पहुंचना लोगों का सपना ही है।
सड़क स्वीकृत हुए गुजरे वर्षो, धरातल पर नहीं उतरी योजना
गैरीखेत को सड़क मार्ग से जोडऩे के लिए वर्षो पूर्व से सड़क स्वीकृत है। मगर योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। लोनिवि अधिशाषी अभियंता दीपक गुप्ता ने बताया कि पूर्व में स्वीकृत कार्य को 2017 में लाइन आफ सेंशन मिली थी। जिसके बाद नारायण नगर से गैरीखेत तक तीन किमी सड़क मार्ग बनाया जाना प्रस्तावित था। विभाग की ओर से सर्वे भी किया गया। मगर वन भूमि हस्तांतरण को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है।