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र‍िटायर्ड शि‍क्षक ने पहले स्कूल तो अब मोहल्ले में खोला निर्धन बच्चों के लिए बुक बैंक

लंबे सेवाकाल के बाद हर कोई कर्मचारी रिटायरमेंट के दिन सुकून से बिताना चाहता है। ताकि वो अपने घर-परिवार और शुभचिंतकों के साथ समय बिता सके। लेकिन कई कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो रिटायरमेंट के बाद भी समाज हित में अपना काम जारी रखते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 11:07 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 11:07 AM (IST)
र‍िटायर्ड शि‍क्षक ने पहले स्कूल तो अब मोहल्ले में खोला निर्धन बच्चों के लिए बुक बैंक
हल्द्वानी के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक बिपिन चंद्र पांडे ने 2015 में बुक बैंक स्कूल में ही खोल दिया था।

हल्द्वानी, जेएनएन : लंबे सेवाकाल के बाद हर कोई कर्मचारी रिटायरमेंट के दिन सुकून से बिताना चाहता है। ताकि वो अपने घर-परिवार और शुभचिंतकों के साथ समय बिता सके। लेकिन कई कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो रिटायरमेंट के बाद भी समाज हित में अपना काम जारी रखते हैं। उन्हें एशो-आराम, सुकून से कोई मतलब नहीं रहता। हल्द्वानी के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक बिपिन चंद्र पांडे भी इन्हीं में से एक है। उन्होंने शिक्षक रहते हुए निर्धन बच्चों की मदद की। बच्चों की परेशानी देख 2015 में बुक बैंक स्कूल में ही खोल दिया। पिछले साल अगस्त में रिटायर होने के बाद भी उन्होंने गरीब बच्चों की मदद की राह नहीं छोड़ी। हाल ही में उन्होंने शहर में ही एक और बुक बैंक की स्थापना की है। जिसमें कक्षा नौ से बारहवीं तक के बच्चों के लिए निश्शुल्क पुस्तकों की व्यवस्था की गई है।

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शादी की सालगिरह पर खोला था पहला बुक बैंक

समाजसेवा में हमेशा अग्रणी रहे शिक्षक बिपिन पांडे ने 2015 में अपनी शादी की सालगिरह के मौके पर एचएन इंटर कॉलेज में बुक बैंक की स्थापना की थी। पुस्तक न होने पर शिक्षक द्वारा सजा के तौर पर कक्षा से बाहर किए गए छात्रों को देखकर उनके मन में बुक बैंक खोलने का ख्याल आया था। वर्तमान में बुक बैंक से शहर के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले कई निर्धन बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। इसमें सात हजार किताबें हैं।

मोहल्ले में खोला बुक बैंक

शिक्षक पांडे ने अब अपने मोहल्ले धार बिठौरिया में बुक बैंक की स्थापना की है। जिसके उद्घाटन के मौके पर तीन निर्धन बच्चों को निश्शुल्क किताबें भेंट की गई। यहां नौवीं से बारहवीं तक की किताबें निश्शुल्क उपलब्ध रहेंगी।


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