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हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए हो रहे अनुसंधान

जीबी पंत राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की पांचवी परियोजना मूल्यांकन की आनलाइन कार्यशाला हुई। जिसमें एनएमएचएस नोडल अधिकारी व प्रभारी निदेशक इं. किरीट कुमार ने बताया कि यह मूल्यांकन कार्यशाला अत्यंत महत्वपूर्ण है। नए शोध परिणामों को धरातलीय बनाने के प्रयास भी किए जाएंगे।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 06:39 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 06:39 PM (IST)
हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए हो रहे अनुसंधान
25 अनुसंधान परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अपर सचिव बीवी उमा कहा कि हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए विभिन्न अनुसंधान परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। बीते सात सालों में हिमालयी क्षेत्र में जल, जैव विविधता संरक्षण के साथ आजीविका और कौशल विकास आदि क्षेत्रों में अनेक अभिनव अनुसंधान और प्रारूपों का विकास किया है। जिसका लाभ वहां के समाजों को मिल रहा है।

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जीबी पंत राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की पांचवी परियोजना मूल्यांकन की आनलाइन कार्यशाला हुई। जिसमें एनएमएचएस नोडल अधिकारी व प्रभारी निदेशक इं. किरीट कुमार ने बताया कि यह मूल्यांकन कार्यशाला अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से अभिनव शोध पद्धतियों के लिए प्रेरित किया जाएगा साथ ही नए शोध परिणामों को धरातलीय बनाने के प्रयास भी किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जल संसाधन प्रबंधन, आजीविका संवर्धन, आधारभूत निर्माण, जैव विविधता संरक्षण और भौतिक संयोजकता क्षेत्र में कार्य कर रही 25 अनुसंधान परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जा रहा है।

आईआईटी जम्मू के डॉ नितिन जोशी, ने कहा कि  हिमालयी क्षेत्र में जलविद्युत परियोजनओं की संभावना के साथ आकार में बढ़ने वाली ग्लेशियर झीलों के अनुसंधान कार्यो के बारे में बताया। सिक्किम के डॉ नुरूज्जमन, ने पश्चिम बंगाल और सिक्किम मेंं पेयजल सुरक्षा हेतु कंप्यूटर आधारित डीएसएस प्रणाली पर किए जा रहे अनुसंधान के विषय में जानकारी दी। इस अवसर पर संस्थान से डॉ संदीपन मुखर्जी, इं, सैयद अली, अंकित धनै, जोशी, आदि मौजूद थे।


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