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गणतंत्र दिवस स्पेशल : कहां छपी थी देश के संविधान की पहली कॉपी, आज भी सुरक्षित है हस्तलिखित मूल प्रति

गणतंत्र दिवस स्पेशल भारतीय संविधान की पहली प्रति देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस में छापी गई थीं। तब कुल एक हजार प्रतियां छापी गई थीं। यादगार के तौर पर एक प्रति आज भी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम में रखी हुई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 02:14 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 02:14 PM (IST)
गणतंत्र दिवस स्पेशल : कहां छपी थी देश के संविधान की पहली कॉपी, आज भी सुरक्षित है हस्तलिखित मूल प्रति
संविधान की पहली एक हजार प्रतियां देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस में छापी गई थीं।

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस लोकपर्व की तरह मनाया जाता है । इसे पहली बार 26 जनवरी, सन 1950 को मनाया गया था। इस बार देश में 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इसी दिन भारत का संविधान भी लागू किया गया था। बात संविधान की हो तो इसका संबंध उत्तराखंड से भी जुड़ता है। जी हां आपको यह भी जानना चाहिए कि जिस संविधान पर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र टिका हुआ है, उसका उत्तराखंड से क्या नाता है। संविधान की पहली एक हजार प्रतियां देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस में छापी गई थीं। यादगार के तौर पर एक प्रति आज भी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम में रखी हुई है। जबकि हाथ से लिखी गई मूल प्रति नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में सुरक्षित है।

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भारत का संविधान प्रकाशित करने में दून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया का अहम योगदान है। आजादी के समय आज की तरह छपाई की उन्नत तकनीक नहीं थी। ऐसे में जब लिहाजा जब संविधान के प्रकाशन की बात अाई तो संविधान सभा ने इस काम को सर्वे ऑफ इंडिया को सौंप दिया। तब सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्यालय देहरादून में हुआ करता था। देहरादून के नॉदर्न प्रिंटिंग ग्रुप में पहली बार इसकी एक हजार प्रतियां प्रकाशित की गईं। इसे फोटोलिथोग्राफिक तकनीक से प्रकाशित किया गया था। इसी तकनीक से सर्वे ऑफ इंडिया नक्शे भी बनाता है।

एक हजार प्रतिया छापी गई थीं

सन 1767 में अंग्रेज़ों ने सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया का गठन कर चार प्रिंटिंग ग्रुपों (नार्दर्न, ईस्टर्न, साउदर्न और वेस्टर्न प्रिटिंग ग्रुप) का स्थापित किया। जिसमें नार्दन प्रिटिंग ग्रुप का ऑफ़िस और प्रिटिंग प्रेस देहरादून में बनाया। इसी प्रेस की नौ नंबर मशीन से भारत के संविधान की पहली प्रति छापी गई। प्रिंटिंग मशीन में फोटोलीथोग्राफिक तकनीकी से कैलिग्राफी कर भारतीय संविधान की पहली एक हज़ार प्रतियां छपी थीं। लकड़ी के विशाल परिसर में शान से खड़ी नौ नम्बर की मशीन पर अब छपाई नहीं होती लेकिन कहा जाता है कि यह अब भी काम करती है।

संविधान की मूल प्रति हाथ से लिखी गई

भारत के संविधान की मूल प्रति को हाथ से लिखा गया है। दिल्ली निवासी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे इटेलिक स्टाइल में बेहद करीने से लिखा था। शांति निकेतन के कलाकारों ने हर पन्ने को बखूबी सजाया-संवारा है। दून में ही हर पन्ने को कैलीग्राफ कर फोटोलिथोग्राफिक तकनीक से संविधान को प्रकाशित किया गया गया। सर्वे ऑफ इंडिया की वेबसाइट में इसे ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज किया गया है।

कैसे तैयार हुआ संविधान

1946 में संविधान सभा की स्थापना हुई। जिसमें 389 सदस्य थे। सभा की पहली बैठक नौ दिसम्बर, 1946 को हुई। जिसमें वरिष्ठतम सांसद डा. सचिदानंद सिन्हा प्रोविजनल प्रेजीडेंट थे। दिसम्बर 11, 1946, को डा. राजेन्द्र प्रसाद को स्थाई चेयरमैन चुना गया। देश के विभाजन से सदस्य संख्या घट कर 299 रह गई। संविधान सभा में आठ मुख्य समितियां और 15 अन्य समितियां थी। डा.बीआर अम्बेडकर ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे। संविधान में 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं। ये 22 भागों में विभाजित है। हस्तलिखित संविधान पर 24 जनवरी 1950 को 284 संसद सदस्यों ने साइन किए। जिसमें अभी तक सौ से अधिक संशोधन हो चुका है।


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