कोरोना से अनजान नामिक गांव के लिए घोड़ों के जरिये राहत सामग्री रवाना
अति दुर्गम नामिक गांव के ग्रामीणों को कोरोना वायरस की जानकारी तक नहीं है। प्रशासन गांव में राहत सामग्री पहुंचाने में जुट गया है।
पिथौरागढ़, जेएनएन : सीमांत पिथौरागढ़ जिले के अति दुर्गम नामिक गांव के ग्रामीणों को कोरोना वायरस की जानकारी तक नहीं है। समुद्र सतह से 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी तहसील के इस गांव के लिए घोड़ों के जरिये राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। मुनस्यारी मार्ग पर बला से 27 किमी की पैदल दूरी पर स्थित नामिक गांव तक पैदल पहुंचना अति कठिन है। गोगिना के दो और नामिक के 114 परिवारों के लिए बागेश्वर जिले के रास्ते राहत सामग्री भेजी गई है।
एक माह से खराब है उरेडा की विद्युत लाइन
नामिक गांव अभी भी सड़क, संचार से वंचित है। यहां पर प्रकाश के लिए उरेडा की एक पचास किलोवाट की परियोजना है। इस परियोजना से उत्पादित बिजली से गांव में उजाला होता है। ग्राम प्रधान तुलसी देवी ने बताया कि उरेडा की परियोजना एक माह से खराब है। लॉकडाउन हुए भी एक माह बीत चुका है। जिसके चलते विभाग को कोई भी कर्मी लाइन ठीक करने नहीं आया है। ग्रामीणों को बस लॉकडाउन की जानकारी भर है।
घबराए हैं दुनिया की खबरों से बेखबर ग्रामीण
नामिक गांव में संचार की कोई सुविधा नहीं है। यहां पर मोबाइल में कभी कभार पहाड़ की चोटी में जाकर सिग्नल आते हैं। एक माह से बिजली नहीं होने से ग्रामीणों के मोबाइल फोन बंद हैं। बिजली नहीं होने से टेलीविजन भी नहीं चलता है। ग्रामीणों को देश सहित दुनिया की खबरें तक नहीं मिल रही हैं। नामिक विद्यालय के शिक्षक एवं नामिक गांव निवासी भगवान सिंह जैमियाल ने बताया कि गांव के सभी लोग आगे क्या होगा इसे लेकर घबराए हैं। बिजली लाइन ठीक हो जाती तो समाचारों के माध्यम से ग्रामीणों को भी स्थिति का पता चलता। देश, दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अन्य कोई माध्यम नहीं होने से ग्रामीण घरों से कम निकलते हैं। खेतों तक जाने से भी डर रहे हैं। समिति के हीरा सिंह चिराल ने एसडीएम से भेंट कर उरेडा की बिजली लाइन ठीक कराने की मांग की है। एसडीएम बीएस फोनिया का कहना है कि नामिक गांव में उरेडा की विद्युत लाइन खराब होने की सूचना मिली है। इस संबंध में उरेडा के अधिकारियों से बात कर शीघ्र कराने को कहा जा रहा है।
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