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महिला पुलिसकर्मियों व उनके छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने महिला पुलिसकर्मियों की कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर में सुरक्षा को लेकर दायर याचिका दायर की गई है। मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 04:51 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 04:51 PM (IST)
महिला पुलिसकर्मियों व उनके छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब
मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। कोविड की संभावित तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका ने उत्तराखंड के पुलिस महकमे की महिला पुलिसकर्मियों को चिंता में डाल दिया है। हाईकोर्ट ने महिला पुलिसकर्मियों की संभावित तीसरी लहर में सुरक्षा को लेकर दायर याचिका दायर की गई है। मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में किच्छा उधमसिंह नगर निवासी सुभाष तनेजा की जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई थी। जिसमें कहा है कि विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण होने की संभावना जताई गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस विभाग में कार्यरत गर्भवती महिलाएं, पांच साल तक के बच्चों की मां को खतरा हो सकता है।

याचिका में इस दायरे में आने वाली महिला पुलिसकर्मियों को संभव होने पर अवकाश पर भेजने, फील्ड के बजाय ऑफिस ड्यूटी या वर्क फ्रॉम होम देने के निर्देश देने की याचना की गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार उनके द्वारा इस संबंध में पुलिस महानिदेशक को प्रत्यावेदन भेजा था। जिसके बाद डीजीपी ने एक साल तक के छोटे बच्चों की माता महिला पुलिसकर्मी को फील्ड ड्यूटी से छूट प्रदान की थी।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता प्रभा नैथानी ने बताया कि मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी। कोरोना में तीसरी लहर को बच्चों के लिए खतरनाक बताया गया। तमाम खबरें इस संबंध में विभिन्न विशेषज्ञों के हवाले से सामने आई हैं। ऐसे में दायर याचिका में पुलिस विभाग में महिला कर्मियों को लेकर चिंता जाहिर की गई है। चूंकि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स होने के नाते पुलिसकर्मियों की ड्यूटी आवश्यक रूप से लगाई जाती है। इस दौरान गर्भवती, छोटे बच्चों की मां के रूप में कार्यरत कर्मियों को लेकर चिंता जाहिर की गई। उन्हें सुरक्षित करने के लिए शासन को उचित कदम को लेकर यह याचिका दायर की है।

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