Move to Jagran APP

अल्‍मोड़ा में वराह व नरसिंह की दुर्लभ प्रतिमाएं मिलीं, कत्‍यूर काल का बताया जा रहा शिल्‍प nainital news

अल्‍मोड़ा जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। जिले के द्वाराहाट क्षेत्र के पालीपछाऊं के सुरेग्वेल में भगवान विष्णु की वराह व नरसिंह अवतार वाली मूर्तियां मिली हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 07:41 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 07:08 PM (IST)
अल्‍मोड़ा में वराह व नरसिंह की दुर्लभ प्रतिमाएं मिलीं, कत्‍यूर काल का बताया जा रहा शिल्‍प nainital news
अल्‍मोड़ा में वराह व नरसिंह की दुर्लभ प्रतिमाएं मिलीं, कत्‍यूर काल का बताया जा रहा शिल्‍प nainital news

द्वाराहाट (अल्‍मोड़ा) जेएनएन : कुमाऊं की पौराणिक और सांस्‍कृतिक राजधानी अल्‍मोड़ा जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। जिले के द्वाराहाट क्षेत्र के पालीपछाऊं के सुरेग्वेल में भगवान विष्णु की वराह व नरसिंह अवतार वाली मूर्तियां मिली हैं। शोधकर्ता इन्‍हें कत्यूर काल का बता र‍हे हैं। दावा किया जा रहा है कि विष्णु के साथ एक ही प्रस्तरखंड में वराह और नरसिंह अवतार की मूर्तियां बेहद दुर्लभ हैं। आज तक ऐसी मूर्तियां नहीं देखी गईं हैं। इसके अलावा भी एक और मूर्ति मिली है। जिसमें वराह के साथ एक मातृदेवी व एक अन्य भगवान का चित्र उभरा है। हालांकि इस मूर्ति की पहचान में अभी संदेह है, लेकिन विशेषज्ञ इसमें भी वराह के साथ भूमिदेवी व ब्रह्मा अथवा वराह के साथ मनु और शतरूपा को दर्शाए जाने का अनुमान जता रहे हैं।

loksabha election banner

ग्राम सुरे के पौराणिक नौले के समीप नव निर्मित मंदिर में रखी हैं मूर्तियां

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर व अष्टाचक्रा अयोध्या के लेखक डॉ. मोहन चंद्र तिवारी इन दिनों जालली घाटी में पुरातात्विक सर्वेक्षण कर रहे हैं। चार दिन पूर्व मेगेलिथिक अवशेष ढूंढने के बाद अब उनकी नजर बेहद दुर्लभ मूर्तियों पर पड़ी। बताया कि ये मूर्तियां ग्राम सुरे के प्राचीन नौले के समीप नवनिर्मित मंदिर में रखी गई हैं। जानकारों का मानना है कि पहले ये मूर्तियां नौले के भीतर विराजमान थी।

वैष्णव परंपरा की मूर्तिकला का कत्यूर कालीन

मंदिर में मिली इन दुलर्भ मूर्तियों का शिल्प और अलंकरण वैष्णव परंपरा से मिलता जुलता है। कालखंड व काले पत्थर पर उकेरी गई इन दुर्लभ मूर्तियों को कत्यूर कालीन माना जा रहा। विष्णु के साथ वराह और नरसिंह अंकित मूर्ति में तो विद्वानों को कोई संशय नहीं, मगर वराह के साथ दो अन्य देवमूर्तियों की पहचान में अभी तक भ्रम की स्थिति बनी हुई है। सर्वेक्षणकर्ता डॉ. मोहन चंद्र तिवारी के अनुसार दूसरी मूर्ति में वराह के साथ अंकित स्त्री की आकृति भूमिदेवी की, जबकि पुरुष की आकृति ब्रह्मा के होने का केवल अनुमान ही व्यक्त किया जा सकता है। इस मूर्ति में वराह के साथ मनु और शतरूपा को उकेरे जाने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि ब्रह्मा से उत्पन्न मनु और शतरूपा के संयोग से मानव की उत्पत्ति तथा हिरण्याक्ष द्वारा पृथ्वी को रसातल पर ले जाने का प्रसंग पौराणिक कथाओं में आता है। इन सब से इतर सुरेग्वेल से प्राप्त ये दुर्लभ आकृतियां मूर्तिविज्ञान की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बताई जा रही हैं।

ये है पौराणिक कथा

दक्षपुत्री दिति महर्षि कश्यप की पत्नी थी। मुहूर्त के विपरीत संतान सुख की लालसा दिति पर भारी पड़ी। उससे हिरण्याक्ष व हिरण्यकशिपु दो दैत्य पैदा हुए। ब्रह्मा से वरदान पाकर दोनों बलशाली हो गए। हिरण्याक्ष पृथ्वी की धारण शक्ति को लेकर रसातल में चला गया। आधार शक्ति से रहित होने के कारण पृथ्वी भी रसातल में चली गई। सृष्टि विस्तार के लिए ब्रह्मा के शरीर से मनु व शतरूपा उत्पन्न हुए, लेकिन पृथ्वी को हिरण्याक्ष रसातल पर ले गया था। विष्णु ने वराह रूप धारण कर पृथ्वी को रसातल से निकाल व्यवहार योग्य स्थल पर स्थापित कर उसमें आधार शक्ति का संचार किया। विरोध करने पर हिरण्याक्ष का वध भी कर डाला। भाई के वध की सूचना पर हिरण्यकशिपु क्रोधित हुआ। न दिन में और न ही रात में किसी भी देव, दानव, जानवर आदि किसी से भी न मारे जाने का वरदान पाकर उत्पात मचाने लगा। अपनी चौथी संतान प्रह्लाद (हरिभक्त) को भी कई बार मारने की कोशिश की। अंतत: सायंकाल में विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर उस दैत्य का भी वध कर दिया।

पौराणिक द्वारका में एक दशक पूर्व भी मिली थी मूर्ति

पौराणिक द्वारका में भी करीब एक दशक पूर्व विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति मिली थी। दरअसल 2008 में द्वाराहाट में रामगंगा पेयजल योजना के पाइप बिछाने का कार्य नगर क्षेत्र में चल रहा था। खोदाई के दौरान प्रसिद्ध गुर्जरदेव मंदिर के समीप 175 सेमी लंबा तथा 174 सेमी चौड़ा प्रस्तरखंड मिला। जिसपर विष्णु की वराह आकृति के अलावा पद्मासन मुद्रा व शेषनाग के साथ विष्णु की आकृतियां उकेरी गई थीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.