रमा के हर्बल जंगल में उग रहे रोजगार के पौधे, 25 से अधिक महिलाओं को दिया काम
रामगढ़ के नथुवाखान निवासी रमा बिष्ट की तरह होगा तो आप दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाएंगे। रमा ने अपनी आठ नाली जमीन में एक जड़ी-बृटियों वाला जंगल तैयार किया है।
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी: पहाड़ में स्वरोजगार की संभावनाएं खत्म नहीं हुई है। बस जरूरत है तो कोशिश करने की। और अगर हौंसला रामगढ़ के नथुवाखान निवासी रमा बिष्ट की तरह होगा तो आप दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाएंगे। रमा ने अपनी आठ नाली जमीन में एक जंगल तैयार किया है। जंगल किसी झाड़-झाड़ी वाले पौधों का नहीं बल्कि जड़ी-बृटियों का है। कुछ हिस्सों में सेब, आड़ू और खुमानी के पेड़ भी मिलेंगे। रमा के इस हर्बल जंगल से 25 से अधिक स्थानीय महिलाओं को काम भी मिला। सभी हर्बल चाय की सामग्री तैयार करते हैं। इसके अलावा यहां मौजूद जड़ी-बूटियां औषधी के तौर पर भी काम आती है। टूरिस्टों से लेकर अन्य लोग इन्हें काफी पसंद करते हैं।
अक्सर लोग खाली पड़ी जमीन पर किसी भी प्रजाति के पौधे लगा देते हैं। जबकि प्रजातियों के चयन को लेकर हमें ध्यान देना चाहिए कि इसका पर्यावरण के लिए क्या महत्व है, स्वरोजगार के साधन तैयार कर लोगों को कैसे जोड़ जाए। जमीन के छोटे से भी टुकड़े का इस्तेमाल किस तरह किया जा सकता है। नथुवाखान की रमा बिष्ट ने अपनी सोच से हर्बल, हरियाली, औषधीय और फलदार चारों प्रजातियों का मिश्रण तैयार किया। रमा के मुताबिक अलग-अलग भाग में उसने करीब आठ नाली में इन पेड़ों को संरक्षित किया है। शुरूआत धीमी थी मगर 2010 के बाद बड़े पैमाने पर काम शुरू किया। जिसमें पति जितेंद्र बिष्ट ने भी पूरा सहयोग किया। आसपास के करीब 40-50 काश्तकारों से भी हर्बल उत्पाद तैयार खरीदे जाते हैं।
इन चीजों की पैदावर
रमा बिष्ट के मुताबिक आठ नाली जमीन पर स्वीट बेसिल, सेज, स्टीविया, पेपर मिंट, रोजमेरी, मारजोरम, रोज जिरेनियम, आरेगानो, थायम, पार्सली, लेमन बाम, पर्सले हर्ब, लेमनग्रास, केमोमाइल, अर्जुन, सौंप, कासनी, गिलोय, अश्वगंधा आदि हर्बल प्रजातियों को तैयार किया गया। मेडिसीन गुण, हर्बल टी, सुगंध और कीड़ों को दूर रखने के लिए इन प्रजातियों का विशेष महत्व है।
रामगढ़ में खेती का प्रस्ताव बनाया
रमा की इच्छा है कि पूरे रामगढ़ ब्लॉक में हर्बल खेती को प्रचारित किया जाए। ताकि स्थानीय लोग इनका महत्व समझ स्वरोजगार हासिल कर सके। प्रस्ताव बनाकर ब्लॉक में भी दिया गया है। मुख्य सचिव के समक्ष भी पूर्व में वह प्रस्ताव दे चुकी है। रमा ने बताया कि महिला समूह बनाना ही काफी नहीं है। अगर उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को लेकर सरकारी मदद मिल जाए तो पहाड़ में काफी संभावनाए हैं।
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