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पर्वतीय क्षेत्रों रबी की फसल के लिए मददगार होगी बारिश, गेहूं, सरसों के साथ सब्जियों को मिलेगी मदद

कृषि विज्ञानियों का मानना है कि हालिया बारिश पर्वतीय क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगी। मैदानी इलाकों में जहां अभी तक गेहूं की बुआई नहीं हुइ है वहां बारिश अधिक होती है तो बुआई में थोड़ी देरी हो सकती है। मौसम विभाग बहुत अधिक बारिश की संभावना से इन्कार किया है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 07:55 AM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 07:55 AM (IST)
जहां फसलें अंकुरित हो चुकी है, उनकी बढ़वार में बारिश मददगार साबित होगी।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बारिश को पर्वतीय क्षेत्रों की खेती के लिए मददगार बताया जा रहा है। खासकर असिंचित क्षेत्र में जहां गेहूं, सरसों, मसूर आदि की बुआई हो चुकी है, बारिश होने से फसलों के जमाव में मदद मिलेगी। जहां फसलें अंकुरित हो चुकी है, उनकी बढ़वार में बारिश मददगार साबित होगी। सब्जियों के लिए भी फायदेमंद होगी। 

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हल्द्वानी, रामनगर, कोटाबाग व कालाढूंगी को छोड़कर नैनीताल जिले के अन्य ब्लाक पर्वतीय क्षेत्र में आते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश फसलें बारिश पर आधारित रहती है। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर जगहों पर रबी की बुआई पूरी हो चुकी है। कृषि विज्ञानियों का मानना है कि हालिया बारिश पर्वतीय क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगी। मैदानी इलाकों में जहां अभी तक गेहूं की बुआई नहीं हुइ है, वहां बारिश अधिक होती है तो बुआई में थोड़ी देरी हो सकती है। हालांकि मौसम विभाग बहुत अधिक बारिश की संभावना से इन्कार किया है। हल्द्वानी समेत पर्वतीय क्षेत्रों में बूंदाबांदी से लेकर 11 मिमी तक बारिश रिकार्ड की गई है। बीते 24 घंटों के दौरान कुमाऊं में सर्वाधिक 21 मिमी बारिश बागेश्वर जिले के शामा में हुई है। कुमाऊं में अगले तीन दिन फिर बारिश व हिमपात के आसार हैं। इसके साथ ठंड में तेजी आएगी।

मुख्य कृषि अधिकारी डा. वीके यादव ने बताया कि बारिश से मिट्टी में नमी बढ़ेगी। जिन इलाकों में रबी की बुआई पूरी हो चुकी है, उन क्षेत्रों के लिए बारिश फायदेमंद रहेगी। अधिक बारिश होती है तो मैदानी क्षेत्रों में जहां बुआई नहीं हुई है वह कुछ दिन पीछे हो सकती है।


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