रोहिणी नक्षत्र में पहुंचे सूर्य पर राहु की छाया, सूर्य की उपासना व दान से कम होगा अशुभ प्रभाव
आगामी आठ जून तक रोहिणी नक्षत्र में सूर्य की मौजूदगी रहेगी। रोहिणी में राहु की उपस्थिति पहले से है। ऐसे में सूर्य व राहु की युति बनी हुई है। सूर्य पर राहु की छाया है। वहीं वृष राशि में सूर्य राहु व शुक्र की मौजूदगी बनी है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बीते दिनों सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आ गया। आगामी आठ जून तक रोहिणी नक्षत्र में सूर्य की मौजूदगी रहेगी। रोहिणी में राहु की उपस्थिति पहले से है। ऐसे में सूर्य व राहु की युति बनी हुई है। सूर्य पर राहु की छाया है। वहीं, वृष राशि में सूर्य, राहु व शुक्र की मौजूदगी बनी है। श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि राहु व शुक्र दोनों ही सूर्य से शत्रु भाव रखते हैं। इससे कुछ नकारात्मकता देखने को मिल सकती है। हालांकि कुछ उपायों से अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। भविष्य पुराण में सूर्य पूजा का महत्व बताया गया है। पूजा, व्रत व दान करने से सूर्य के अशुभ प्रभाव में कमी आ सकती है। सूर्य उपासना उम्र बढ़ाती है। शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं।
पूजा, दान से कम होगा अशुभ प्रभाव
पंडित डा. नवीन चंद्र बेलवाल ने बताया कि सूर्य उपासना के लिए रोज सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। पानी में चावल व फूल डालकर उगते सूरज को अर्घ्य देना चाहिए। भगवान सूर्य से शक्ति, बुद्धि व अच्छी सेहत की कामना करनी चाहिए। राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भैरव पूजा का विधान बताया गया है। भैरव मंदिर में दीपक जलाकर भैरव देव को नैवेद्य अर्पित करें। शुक्र के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए फलों के रस से देवी या शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। जरूरतमंदों को उपके उपयोग में आने वाली सामग्री का दान करने का भी शास्त्रों में विधान बताया गया है।
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