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हरीश रावत की क्षमता पर सवाल उठाना परिपक्वता नहीं : पीईसी मेंबर महेंद्र सिंह माहरा

कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत की कार्य क्षमता पर सवाल उठाने वालों को कांग्रेस प्रदेश इलेक्शन कमेटी के सदस्य और पूर्व कृषि मंत्री महेन्द्र सिंह माहरा ने अपरिपक्वता करार दिया है। उनका कहना है कि अभी भी उनमें नेतृत्व एवं कार्य करने की क्षमता कम नहीं हुई है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 09:21 PM (IST)
हरीश रावत की क्षमता पर सवाल उठाना परिपक्वता नहीं : पीईसी मेंबर महेंद्र सिंह माहरा
हरीश रावत एकमात्र ऐसे नेता हैं जो पहाड़ी राज्य के लोगों के जज्बात, आवश्यकता एवं समस्याओं को बखूबी समझते हैं।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत की कार्य क्षमता पर सवाल उठाने वालों को कांग्रेस प्रदेश इलेक्शन कमेटी के सदस्य और पूर्व कृषि मंत्री महेन्द्र सिंह माहरा ने अपरिपक्वता करार दिया है। उनका कहना है कि हरीश रावत उम्र दराज भले ही हैं लेकिन अभी भी उनमें नेतृत्व एवं कार्य करने की क्षमता कम नहीं हुई है।

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प्रे्रस विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने कहा है कि पार्टी के भीतर ही कुछ लोग पूर्व सीएम हरीश रावत की क्षमता एवं उनकी राजनैतिक परिपक्वता पर सवाल उठाकर कांग्रेस संगठन को मुख्य धारा में लाने में रोड़ा बन रहें हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग भी ऐसा कर रहे हैं वह कांग्रेस पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं। हरीश रावत को एआईसीसी का अध्यक्ष बनाने के लिए अस्सी फीसदी एआईसीसी एवं पीसीसी सदस्यों ने प्रस्ताव रखा था। उन्हें कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व सौंपने पर जो विवाद खड़ा कर रहे हैं वह न तो तो सही मायनों में उत्तराखंड के हितैषी हैं और ना ही पार्टी के।

पूर्व कृषि मंत्री ने कहा है कि आज के नेताओं को सूबे के 95 ब्लाकों का भूगोल तक मालूम नहीं है, जबकि 1980 में पहली बार अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ क्षेत्र से सांसद बनने के बाद चीन की सीमा से लगे उत्तरकाशी, चमोली, एवं पिथौरागढ़ जिलों के दुर्गम क्षेत्रों का पैदल भ्रमण कर हरीश रावत ने जनता से काफी अधिक निकटता बनाई थी। तब इंडिया टुडे जैसी ख्याति प्राप्त पत्रिका ने अपने सर्वेक्षण में उन्हें दुनिया के संसदीय परंपरा वाले श्रेष्ठ नेता करार दिया था। जिन्हें 95 फीसद लोग नाम से तथा 75 फीसदी चेहरे से उन्हें जानते हैं। कहा है कि हरीश रावत उत्तराखंड के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो पहाड़ी राज्य के लोगों के जज्बात, आवश्यकता एवं समस्याओं को बखूबी समझते हैं। यही वजह है कि इन्हें कुमाऊं व गढ़वाल के लोग सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।


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