रामनगर में कृषि कानूनोंके विरोध में धरना
रामनगर में श्रम एवं कृषि क्षेत्र के कानूनों में संशोधन के विरोध में राजनीतिक-सामाजिक संगठनों नेखोला मोर्चा।
संस, रामनगर: श्रम एवं कृषि क्षेत्र के कानूनों में संशोधन किए जाने के विरोध में राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। संशोधनों को किसान व मजदूर विरोधी बताते हुए शनिवार को तहसील परिसर में धरना देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन भेजा गया। कहा कि सरकार को किसान हित में विधेयकों पर पुनर्विचार करना चाहिए। विधेयकों से कुछ प्रविधानों को हटाना होगा, तभी किसानों के अधिकार सुरक्षित रखने की मंशा साकार हो सकेगी।
तहसील परिसर में आयोजित सभा में वक्ताओं ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। कहा कि विधेयकों में किए गए प्रविधानों से किसानों के प्रति शासन की मंशा को स्पष्ट कर दिया है। श्रम एवं कृषि क्षेत्र में पूंजीपतियों व निजी कंपनियों को फायदे पहुंचाने के उद्देश्य से इन कानूनों में संशोधन किया गया है। किसानों का ेइस कानून से कोई लाभ होता नजर नहीं आ रहा है। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद कालाबाजारी और जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। बड़े व्यापारी उत्पाद स्टॉक कर बाद में उसे मनमाने दामों पर बचेंगे। इससे किसानों को मजबूरी में कम दाम पर कृषि उत्पाद बेचने पड़ेंगे। श्रम कानून में मिल मालिकों को फैक्ट्री बंद करने का अधिकार देने व श्रमिकों को बिना नोटिस के निकालने के प्रविधान को हटाया जाए। इसके अलावा कृषि विधेयक में फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य को यथावत रखा जाए। राजनैतिक और सामाजिक संगठनों के लोगों ने सरकार से दोनों विधेयकों पर पुनर्विचार करने की मांग की। बैठक में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी, उक्राद के इंदर सिंह मनराल, पीसी जोशी, पछास के रवि, लालमणि, नीलकमल, कमल, प्रेम मौजूद थे