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एसओजी के जवान कर रहे मेहमान परिंदों की सुरक्षा, तस्करों पर रख रहे निगाह

गूलरभोज डैम के आसपास एसओजी के जवान तस्करों पर निगाह रख रहे हैं, ताकि हजारों किमी दूर से यहां पहुंचने वाले पक्षियों पर खतरा न मंडराये।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 11:52 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 11:16 PM (IST)
एसओजी के जवान कर रहे मेहमान परिंदों की सुरक्षा, तस्करों पर रख रहे निगाह
एसओजी के जवान कर रहे मेहमान परिंदों की सुरक्षा, तस्करों पर रख रहे निगाह

गोविंद बिष्‍ट, हल्‍द्वानी । मेहमान विदेशी परिंदों की आवाज से इस समय उत्तराखंड के जलाशय चहक रहे हैं। वहीं इनकी सुरक्षा को लेकर वन विभाग भी सतर्क हो चुका है। गूलरभोज डैम के आसपास एसओजी के जवान तस्करों पर निगाह रख रहे हैं, ताकि हजारों किमी दूर से यहां पहुंचने वाले पक्षियों पर खतरा न मंडराये। जंगल के हर रास्ते पर सादी वर्दियों में वनकर्मी गश्त के जरिये नजर बनाए हुए हैं।दस हजार किलोमीटर दूर से हर साल नवंबर के अंत में हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी बड़े जलाशयों के आसपास डेरा जमाते हैं। अधिकांश जलाशय तराई के जंगलों के आसपास है। जहां इस समय घने कोहरे का सीजन शुरू होता है। ऐसे में तस्करी की आशंका काफी बड़ जाती है। अब वन महकमे ने इनकी सुरक्षा के मद्देनजर तराई केंद्रीय वन प्रभाग की एसओजी को तैनात किया है। गूलरभोज डैम के आसपास घना जंगल व आबादी दोनों है। इसलिए वनकर्मी जंगल के उन सभी रास्तों पर नजर रख रहे हैं, जहां से डैम को रास्ता निकलता है। इसके अलावा आसपास के गांवों में मुखबिर तंत्र को मजबूत कर इलाके में सक्रिय शिकारियों को चिह्नित किया जा रहा है।

डेरा जमाने वाली प्रजाति : जलाशयों में डेरा जमाने वाली प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों में ग्रे क्रस्टेड ग्रिप, एशियन ओपनबिल स्टार्क, वुलीनेक्ड स्टार्क, कॉमन टील, पिनटेल, कॉमन पोचर्ड, रेड क्रस्टेड पोचार्ड, टफटेड डक, रेडसेल्ड डक , मरगेंजर लिटिल ग्रिप, लेसर अजेंडर शामिल है।
उत्तराखंड के इन जलाशयों में आगमन : बौर जलाशय, धौरा डैम, नानकमत्ता, शारदा, कोसी रामनगर, नैनीताल, गूलरभोज, हरिपुरा, असान बैराज दून, हरिद्वार स्थित भीमगौड़ा बैराज, मिस्सरपुर व ऋषिकेश स्थित पशु लोक गंगा बैराज आदि।

ब्रिटेन व मंगोलिया तक से पहुंचते हैं : सर्दियों की शुरुआत के साथ प्रवासी पक्षी ब्रिटेन, मंगोलिया, साइबेरिया व मध्य एशिया तक से आते हैं। हालांकि उत्तर भारत में धुंध की वजह से कई बार यह रास्ता भी भटकते हैं।
होली के साथ वापसी का दौर : विदेशी पक्षियों की तराई के जलाशयों में डेरा जमाने की मुख्य वजह इनके मूल स्थान पर कड़ाके की ठंड है। वहीं जैसे ही होली का सीजन आता है। झुंड के झुंड वापसी करने लगते हैं। लंबी उड़ान भरने वाले यह पक्षी दिनभर पानी में रहते हैं।

देवभूमि को बर्ड डेस्टिनेशन बनाने की कवायद : पक्षियों की विविधता को लेकर देशभर में प्रसिद्ध उत्तराखंड को बर्ड डेस्टीनेशन के तौर पर विकसित करने की कवायद शुरू हो चुकी है। दरअसल, अन्य देशों में बर्ड वाचिंग जोन को रोजगार से जोड़कर काम किया जा रहा है। भारत में पक्षियों की कुल 1300 प्रजातियां हैं, जिसमें से 697 उत्तराखंड में देखी गई हैं। वहीं वन विभाग की यह योजना धरातल पर उतरने से पक्षी संरक्षण के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
तीन जनवरी को फरार हो गए थे शिकारी : विदेशी पक्षियों की तस्करी की सूचना पर तीन जनवरी को पुलिस ने नाकेबंदी कर एक वाहन पकड़ा था, जिसमें से छह मृत साइबेरियन पक्षी मिले थे। हालांकि तस्कर गाड़ी छोड़ फरार हो गया था।एसओजी इंचार्ज तराई केंद्रीय वन प्रभाग रूप नारायण गौतम ने बताया कि एसओजी लगातार पक्षियों की सुरक्षा को लेकर मुस्तैद है। शिकारियों का नेटवर्क जुटाया जा रहा है। सादी वर्दी में टीम नियमित गश्त कर रही है।

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